उर्दू और हिंदी भाषा के महान लेखक कृष्णचंद्र की जयंती के बहाने :अदबी हलकों ने ही किया फरामोश
✍️ एम.डब्ल्यू.अंसारी (आईपीएस) 20 से अधिक उर्दू उपन्यासों, 30 लघु कथाओं के संग्रह और रेडियो नाटकों के अनगिनत संग्रहों के लेखक, उर्दू और हिंदी लघु कथाओं और उपन्यासों के लेखक, कृष्ण चंद्र का जन्म आज ही के दिन, 23 नवंबर, 1914 को भरतपुर, राजस्थान में हुआ था। कृष्ण चन्द्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तहसील महेंद्रगढ़ में प्राप्त की। उन्होंने पांचवीं कक्षा से उर्दू भाषा का अध्ययन शुरू किया और आठवीं कक्षा में फारसी को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। उन्होंने विक्टोरिया हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होने कॉलेज में दाखिला लिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात भगत सिंह के साथियों से हुई और वे क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने लगे। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और दो महीने तक हिरासत में रखा गया। कृष्णचंद्र ने अपने कथा साहित्य और उपन्यासों के माध्यम से प्रगतिशील साहित्य को आगे बढ़ाया और उसे विश्व मंच पर पहुंचाया। उन्होंने दर्जनों उपन्यास और 500 से अधिक लघु कहानियाँ लिखीं। उनकी रचनाओं का विश्व की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण चन्द्र के