मध्यप्रदेश का बदलता औद्योगिक परिदृश्य : आदिवासी अंचलों में बढ़े रोजगार के अवसर
इन दिनों मध्यप्रदेश का औद्योगिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। उद्योगों को विस्तार मिल रहा है। बड़े उद्योगों के साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के विकास के कारण प्रदेश का नक्शा बदल रहा है। सबसे अहम बात यह है कि आदिवासी अंचल के लोगों को रोजगार के नए अवसरों के साथ उद्योग स्थापित करने के अवसर भी मिल रहे हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम किस्म के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट अप इन्वेस्टर मीट में 40 स्टार्ट अप एवं 8 इनवेस्टर्स ने भागीदारी की। इसी क्रम में स्व-रोजगार संचालित करने वाले सभी 12 विभाग को एमपी ऑनलाईन पोर्टल पर ऑन बोर्ड किया गया। अब स्व-रोजगार योजना में ऋण के लिए आवेदक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। मध्यप्रदेश के उत्पादों को जीआई टैग दिलवाने की कोशिश के प्रथम चरण में पाँच उत्पाद को शामिल किया गया है। इसमें जोबट जिला अलीराजपुर की दरी, बुरहानपुर की मावा-जलेबी, मुरैना की गजक, इंदौर का पोहा एवं डिंडौरी, मंडला, शहडोल तथा अनूपपुर की कोदो-कुटकी के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई इकाइयों के लिए पुरस्कार योजना में संशोधन कर मध्यम इकाई को भी शामिल किया गया है। यही नहीं, इस पुरस्कार की राशि में भी बढ़ोत्तरी की गई है।
मध्यप्रदेश में पहले से जटिल औद्योगिक भू-आवंटन नियम को सरल करने एवं मध्यप्रदेश भंडार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 के नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। लघु उद्योग संवर्धन बोर्ड का पुनर्गठन करने के साथ भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में स्टेट ऑफ इंक्यूबेटर की स्थापना का निर्णय लिया गया है।
भारत सरकार को प्रेषित किए प्रस्ताव
भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा एमएसई-सीडीपी स्कीम के अंतर्गत जबलपुर में मिष्ठान एवं नमकीन कलस्टर के लिए कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर को मंजूरी मिल चुकी है। इस स्कीम में 200 एमएसएमई इकाइयों को लाभ होगा तथा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से 4200 रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास के लिये आधुनिक विनिर्माण तकनीक उपलब्ध कराने, नवीनतम विनिर्माण में मानव- संसाधनों को कुशल बनाने एवं तकनीक तथा व्यवसायिक सहायता करने के बड़े उद्देश्य के लिए भारत सरकार के सहयोग से 200 करोड़ की लागत से जबलपुर में टेक्नोलॉजी सेंटर स्थापित होगा। इसके लिए भूमि का चयन कर लिया गया है। इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इसी क्रम में 9 औद्योगिक क्षेत्रों के उन्नयन एवं 2 नवीन औद्योगिक इकाई बुरहानपुर में पावरलूम एवं भोपाल में आरा मिल के लिए कुल 145 करोड़ 85 लाख रुपये के अधोसंरचना प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे गए हैं। एस्पायर योजना में डिंडौरी जिले में लाईवली-हुड आधारित खाद्य प्र-संस्करण इन्क्यूबेशन सेंटर का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
प्रदेश में एमएसएमई एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल कार्यालय शुरू करने, एमएसएमई के फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग, आटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग एवं टेक्सटाईल सेक्टर के चेप्टर, इंदौर एवं भोपाल में स्थापित करने तथा फेसिलिटी स्कीम में इंदौर में कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर स्थापित करने के प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे गए हैं।
मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2019
सूक्ष्म,लघु और मध्यम किस्म के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति- 2019 एक अक्टूबर से लागू की गई है। इस नीति में प्लांट एवं मशीनरी के साथ-साथ भवन पर किए गए निवेश अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है। महिला/अजा/अजजा द्वारा स्थापित इकाई में निवेश का 48 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। यह सामान्य वर्ग से 8 प्रतिशत अधिक होगा। अजा/अजजा श्रेणी की महिलाओं को निवेश का 50 प्रतिशत अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है, जो सामान्य श्रेणी से 10 प्रतिशत अधिक होगा।
नीति में 20 एचपी तक की पावरलूम इकाइयों को विद्युत दर में पहले 1.25 रुपये की रियायत थी, इसे बढ़ाकर 1.50 रुपये किया गया है। पावरलूम, फार्मास्युटिकल एवं रेडीमेड गारमेंट सेक्टर के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान किया गया है। नीति में ऊर्जा ऑडिट एवं औद्योगिक अधोसंरचना विकास को बढ़ावा देने के लिये सहायता का प्रावधान भी किया गया है।
मध्यप्रदेश स्टार्ट अप नीति-2019
मध्यप्रदेश स्टार्ट अप नीति-2019 में 10 करोड़ के रिवॉल्विंग फण्ड का प्रावधान सीड सपोर्ट के लिए किया गया है। इसमें वेंचर फंडिंग में राज्य शासन द्वारा 50 करोड़ का निवेश किया जाएगा। भारत सरकार से अनुमोदित टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर में 50 लाख रुपये की अग्रिम सहायता का प्रावधान किया गया।
नीति परिवर्तन और नयी योजनाएँ
मध्यप्रदेश शासन ने स्वरोजगार योजना के अंतर्गत वाहनों के प्रकरणों में लगे प्रतिबंध को शिथिल करते हुए आवेदकों को ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी एवं मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना में आवेदक के आयकरदाता होने की शर्त को विलोपित कर दिया गया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को वचन-पत्र के अनुरूप अल्प समय में प्रभावी रूप से धरातल पर क्रियान्वित किया गया है।
राज्य शासन के नवाचार का ही परिणाम है कि बेरोजगारों को न केवल रोजगार मिल रहा है बल्कि ऐसे उद्यमियों की जीवन में रौनक लौट आयी है, जो शासन की जटिल प्रक्रिया के कारण निराश हो चुके थे। अब मध्यप्रदेश में बदलाव का वक्त है। बदलाव की यह आहट आदिवासी जिलों तक में महसूस की जा रही है।
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