29 साल से बंद हुकुमचंद मिल के मजदूरों ने मुख्यमंत्री से की बकाया भुगतान की मांग

इंदौर. 897 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का शुभारंभ करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को इंदौर पहुंचे। इस दौरान पिछले 29 साल से बंद हुकुमचंद मिल के श्रमिकों ने मुख्यमंत्री से मुलकात कर श्रमिकों की बकाया राशि का जल्द भुगतान कराए जाने के संबंध में मांग की। इंटक प्रधानमंत्री हरनाम सिंह धालीवाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि 12 दिसंबर 1991 से मिल बंद होने से वहां काम कर रहे 5895 मजदूर बेरोजगार हो गए थे। इनमें से दो हजार मजदूरों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 60 मजदूर ऐसे थे जिन्होंने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर ली थी।


लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 6 अगस्त 2007 को मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने 229 करोड़ रुपए का भुगतान मजदूरों को किए जाने का फैसला दिया था। यह भुगतान मिल की 48.5 एकड़ जमीन को बेचकर किया जाना था। उस जमीन पर राज्य सरकार का अधिकार था। मप्र की पूर्व शिवराज सिंह चौहान सरकार के कार्यकाल में मजदूरों ने कई बार उक्त जमीन बेचकर भुगतान किए जाने की मांग की थी लेकिन जमीन बेची नहीं जा सकी। वर्तमान में राज्य सरकार ने जमीन पर से अपना अधिकार वापस लेकर नगर निगम को उक्त जमीन सौंप दी है। इसके बावजूद जमीन को बेचने की प्रक्रिया में काफी विलंब हो रहा है। मजदूरों की मांग है कि राज्य सरकार अपने कोष से मजदूरों की बकाया राशि का भुगतान करें। मजदूरों की समस्या को सुनकर मुख्यमंत्री ने इस संबंध में जल्द कार्रवाई किए जाने का आश्वास दिया है।


229 करोड़ में से मात्र 50 करोड़ का भुगतान
मजदूरों को उनकी मेहनत के 229 करोड़ रुपए का भुगतान शासन को करना है। कुछ माह पहले कोर्ट के आदेश पर मजदूरों को 229 करोड़ में से 50 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था वहीं अब शेष राशि 179 करोड़ की राशि मजदूरों में बांटी जानी है। हालांकि मजदूरों की मांग है कि 229 करोड़ रुपए के अलावा साल 1991 से अब तक इस राशि पर बने ब्याज का भुगतान भी सरकार द्वारा मजदूरों काे किया जाए।


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