अफगानिस्तान : यूएस-तालिबान शांति समझौता

वॉशिंगटन/काबुल. अमेरिका और अफगानिस्तान के आतंकी गुट तालिबान के बीच शनिवार को कतर में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा- तालिबान से हुआ समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति कायम करने की दिशा में काम करेगा। इसके लिए तालिबान को आतंकी संगठन अलकायदा से अपने सारे रिश्ते तोड़ने होंगे। यह समझौता इस क्षेत्र में एक प्रयोग है।


उन्होंने कहा- हम तालिबान पर नजर बनाए रखेंगे। अमेरिका, अफगानिस्तान से अपनी सेना को तभी हटाएगा जब पूरी तरह से पुख्ता कर लेगा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आतंकी हमले नहीं करेगा। इससे न्यूज एजेंसी के हवाले से कहा गया था कि अमेरिका, अफगानिस्तान से 8600 सैनिक हटाएगा। इसके अलावा भी जो बातें समझौते में कही गई हैं, उन्हें भी 135 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।


शांति समझौते में भारत की भूमिका अहम रही


इस समझौते के लिए भारत समेत 30 देशों के राजदूतों को दोहा आने का न्योता भेजा गया था। इसमें भारत की भूमिका अहम रही है। 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा की थी। शांति समझौते से पहले भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला शुक्रवार रात काबुल पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी और सरकार के आला अधिकारियों से मुलाकात की। शृंगला ने राष्ट्रपति गनी को प्रधानमंत्री मोदी का पत्र भी सौंपा।


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