Happy April Fool's Day 2020: जानें आखिर क्यों 1 अप्रैल को ही मनाया जाता है मूर्ख दिवस

1 अप्रैल यानी मूर्ख दिवस, इस तारीख की इसी खास दिन से अलग पहचान है। दुनिया के ज्यादातर देशों में इस April Fool Day के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन सभी एक दूसरे को मूर्ख बनाने की कोशिश करते हैं। भारत में भी April fool Day यानि मूर्ख दिवस मनाया जाता है। आमतौर पर इस दिन दोस्त, साथी एक दूसरे को मूर्ख बनाने का मौका तलाशते हैं। इस दिन गंभीर बातों पर को लेकर भी लोग उसकी सच्चाई जानने तक सतर्क रहते हैं कि कहीं कोई उन्हें उल्लू तो नहीं बना गया। आमतौर पर इस दिन मिलने वाली किसी सूचना या बात को अक्सर हल्के में लिया जाता है। आखिर क्यों होता है ऐसा और जानें कि आखिर कब से शुरू हुई 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत..


19वीं सदी से है प्रचलित


19वीं सदी से ही 1 अप्रैल को April Fool Day यानि मूर्ख दिवस के तौर पर मनाने की परंपरा चली आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्योफ्री चौसर द्वारा 1392 में लिखी गई किताब कैंटरबरी टेल्स में 1 अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध स्थापित किया गया था। ऐसे में साफ है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। चौसर की किताब दरअसल एक कहानियों का संग्रह थी। इसमें एक कहानी है जिसमें इसका जिक्र होना बताया गया है।


फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने 1539 में एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा था जिसने अपने नौकरों को एक मूर्खतापूर्ण यात्रा पर 1 अप्रैल को भेजा था। इसके अलावा 1968 में जॉन औब्रे ने 1 अप्रैल को April Fool Day कहा था क्योंकि इसी दिन बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर लंदन के टॉवर पर इकट्ठा किया गया था।


यह भी माना जाता है कि April Fool Celebrate करने की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया से ली गई है। इसके अलावा भारतीय त्योहार होली और मध्यकाल का Feast of Fool (बेवकूफों की दावत) भी इसकी प्रेरणा माने जाते हैं।


इस दिन का है महत्व


हर साल इस दिन को शरारतों और अफवाहें फैलाकर मनाने की परंपरा रही है। इस दिन शरारतें करने वाले लोगों को माफ भी कर दिया जाता है। आमतौर पर लोगों की कोशिश होती है कि वे अपने दोस्तों, साथी को किसी न किसी तरीके से मूर्ख बना सकें। इसके लिए अलग-अलग तरह से जतन किए जाते हैं।


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