'मामा' का ममत्व जागा : पहले छात्रों, अब मजदूरों की घर वापसी से शिवराज की इमेज में आएगा निखार

मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 महीने के बाद शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी हुई. सत्ता की कमान संभालते हुए मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में वे चाणक्य बनकर नहीं बल्कि एक सौम्य राजनेता के रूप में अपनी 'मामा' की छवि को मजबूत करने में फिर से जुट गए हैं. कोटा में लॉकडाउन के कारण फंसे छात्रों को लाने का फैसला हो या फिर प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का, इन दोनों मुद्दों पर जिस तरह से शिवराज ने आगे बढ़कर फैसला लिया है, उससे उनकी पुरानी इमेज की झलक दिखी है.


शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री बने तो राजनीतिक पंडित मानकर चल रहे थे कि पिछले कार्यकाल की तरह इस बार सरकार नहीं चला पाएंगे. ऐसे में कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते मध्य प्रदेश के करीब 1197 छात्र राजस्थान के कोटा में फंसे हुए थे. मध्य प्रदेश सरकार ने इन सभी छात्रों को वापस लाकर उनके परिवार वालों तक पहुंचाया. शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर कलेक्टर अनुग्रह पी के मोबाइल पर फोन किया और छात्र-छात्राओं से बात कर उनका हाल-चाल लिया.


कोटा की तर्ज पर शिवराज ने लॉकडाउन के चलते राजस्थान और गुजरात में फंसे अपने प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का भी काम किया. शिवराज सरकार 98 बसों में गुजरात से करीब 2400 मजदूरों को वापस लाई और उन्हें घर में क्वारनटीन रहने के लिए कहा. ऐसे ही राजस्थान में फंसे करीब एक हजार मजदूरों को वापस मध्य प्रदेश लाया गया.


मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि देश के बाकी हिस्‍सों में फंसे लोगों को भी वापस लाया जाएगा. मध्‍य प्रदेश सरकार ने महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को पत्र लिखा है कि वहां के लोगों को वापस आने दें. प्रवासी मजदूरों के वापस उनके घर पहुंचने पर शिवराज ने जिला अधिकारियों को फोन कर मजदूरों से बातचीत की. इस तरह से शिवराज ने अपने आपको परिवार के मुखिया तौर पर पेश किया. शिवराज की एक कला है, जिसके दम पर चौथी बार वह सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हैं.


शिवराज सिंह चौहान अपनी छवि को सहज, सरल, आम और खास दोनों के लिए सर्वदा उपलब्ध रहने वाले राजनेताओं के तौर पर बना रहे हैं. पिछले 13 साल के अपने लंबे कार्यकाल में ऐसे कई अवसर आए जब वे मुख्यमंत्री के रूप में नहीं बल्कि कभी घर-परिवार के मुखिया, कभी भाई तो कभी मामा के रूप में दिखे. ऐसे में शिवराज एक बार फिर से चुनौतियों को संभावना में बदलने में जुट गए हैं.


शिवराज कभी पांव-पांव वाले भइया के नाम से मशहूर थे, लेकिन सीएम बनने के बाद मामा के नाम से मशहूर हो गए. ऐसा नहीं है कि शिवराज सिंह चौहान पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें कोई विशेषण दिया गया है. लगभग राज्य के हर मुख्यमंत्री को उनकी कार्यशैली और तेवर के अनुरूप उपनाम से पुकारा जाता रहा है. सत्ता के शिखर पर बैठे शिवराज चौहान ने एक बार फिर से अपनी सादगी, स्पष्टवादिता और अपनों के लिए जुझारूपन के तौर पर खुद को पेश करना शुरू कर दिया है.


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