सच्ची कहानी : वन स्टॉप सेंटर की मदद से नाबालिग कस्तूरी सकुशल पहुंची घर

भोपाल : छतरपुर जिले में वन स्टॉप सेंटर (सखी) में पिछले 48 दिनों से आश्रयरत नाबालिग बच्ची कस्तूरी सकुशल अपने घर वापस पहुंच गई है। मानसिक रूप से अस्वस्थ्य बालिका कस्तूरी विगत 9 मार्च को खजुराहो रेल्वे स्टेशन में उदयपुर इंटरसिटी ट्रेन में लावारिस हालत में मिली थी। रेल्वे पुलिस, चाइल्ड लाइन टीम के सहयोग और बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार बालिका को वन स्टॉप सेंटर में आश्रय दिया गया। भयभीत होने के कारण बालिका बातचीत करने में भी सक्षम नहीं थी और असामान्य व्यवहार कर रही थी। चिकित्सकों द्वारा बालिका का स्वास्थ्य परीक्षण करने पर उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ पाया गया।

सखी सेंटर की प्रशासक डॉ. प्राची सिंह चंदेल द्वारा सेंटर में किसी भी बालिका अथवा महिला को केवल 5 दिन तक आश्रय देने का प्रावधान होने के कारण नाबालिग बच्ची को महिला समिति आश्रय गृह में स्थानांतरित करवाने की प्रक्रिया की गई, किन्तु संरक्षक ने बालिका की स्थिति को देखकर आश्रय देने से इंकार कर दिया। इसके बाद बालिका को पुनः वन स्टॉप सेंटर लाकर उसका इलाज और पुनर्वास किया गया। इसी दौरान बालिका की मानसिक अस्वस्थता के कारण बाल कल्याण समिति के माध्यम से नाबालिग को मेंटल गृह इंदौर भेजने की कार्यवाही की गई। इस दौरान लॉकडाउन घोषित हो गया और कस्तुरी को पुनः सखी सेंटर में ही रहना पड़ा।


कस्तूरी के असामान्य व्यवहार के बावजूद सेंटर के कर्मचारियों ने स्व-प्रेरणा से उसकी देखभाल की और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सफाईकर्मी कैलाश बाई को नियुक्त किया गया। सेंटर में स्नेहपूर्ण माहौल मिलने के कारण कस्तूरी का व्यवहार धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। उसने बातों-बातों में अपने घर का पता बगरोनी बताया। इस दौरान उ.प्र. के महोबा जिले के ग्राम बगरोनी के प्रधान द्वारा कस्तूरी के माता-पिता और निवास स्थान की पुष्टि होने पर प्रशासक द्वारा लॉकडाउन अवधि में समस्त प्रक्रिया पूर्ण कर उसके घर पहुंचकर माता-पिता के सुपुर्द किया गया।


कस्तूरी के पिता ने बताया कि होली के दिन से कस्तूरी के जाने के बाद उसकी मां की हालत ठीक नहीं रहती थी। अब कस्तूरी के घर आ जाने से माँ के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।


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