कोरोना संक्रमण का देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर असर, GDP 11 साल के निचले स्‍तर पर, आगे ये होंगे हालात

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के मकसद से देशव्यापी लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ है। जनवरी-मार्च तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर पिछले दो साल में सबसे कम 3.1 प्रतिशत रह गई और इस वजह से वित्त वर्ष 2019-20 की पूरी अवधि में विकास दर 11 साल के निचले स्तर पर आ गई। सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक बीते वित्त वर्ष देश की आर्थिक विकास दर घटकर 4.2 प्रतिशत रह गई, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 6.1 प्रतिशत थी। बयान में कहा गया कि कोरोना वायरस की वजह से देश में उपभोक्ता मांग और निजी निवेश घट गया, जो यह महामारी शुरू होने से पहले ही कमजोर पड़ने लगे थे।


तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में देश की विकास दर 4.7 प्रतिशत रही थी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर ताजा रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाता है कि चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष को लेकर विकास दर का जो अनुमान था, हकीकत उससे कुछ बेहतर ही है। ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) आधार पर रिपोर्ट को देखें तो चौथी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था तीन प्रतिशत के हिसाब से आगे बढ़ी, जबकि तीसरी तिमाही में इस हिसाब से विकास दर 4.5 प्रतिशत रही थी।


आगे और मुश्किल रहेंगे हालात


 


देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था। भारत में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। गौर करने वाली बात है कि वित्त वर्ष 2019-20 की आखिरी तिमाही में लॉकडाउन केवल एक हफ्ते के लिए था। इस लिहाज से इसका पूरा असर वित्त वर्ष 2020-21 की पहले तिमाही में नजर आएगा, जिसके दो महीने लॉकडाउन में निकल गए।


 


थम गई आर्थिक रफ्तार


दरअसल लॉकडाउन के कारण कॉल सेंटर, होटल इंडस्ट्री और विमानन उद्योग समेत प्रमुख सर्विस सेक्टर में कामकाज लगभग पूरी तरह ठप हो गया। अर्थव्यवस्था ठहर सी गई, जिसके कारण अब तक की सबसे गंभीर मंदी हमारे सामने है। सर्विस सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था में इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि जीडीपी में इसका योगदान 55 प्रतिशत के करीब है। चीन की अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा योगदान है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। यदि यहां सर्विस सेक्टर बंद होगा तो लाखों-करोड़ों लोगों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी और बेरोजगारी बढ़ने सीधा असर उपभोग पर होगा, जिसका अर्थव्यवस्था में भारी योगदान होता है।


लेकिन यह राहत की बात


 


चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष को लेकर देश की आर्थिक विकास दर का जो अनुमान था, हकीकत उससे कुछ बेहतर ही है। जनवरी-मार्च तिमाही में शून्य प्रतिशत तक वृद्घि दर की आशंका जताई जा रही थी, जबकि वास्तव में यह 3.1 प्रतिशत रही।


 


अप्रैल में कोर सेक्टर का उत्पादन 38 प्रतिशत घटा


 


लॉकडाउन के कारण काम बंद होने की वजह से अप्रैल में आठ बुनियादी उद्योगों (कोर सेक्टर) के उत्पादन में रिकॉर्ड 38.1 प्रतिशत गिरावट आई। मार्च में कोर सेक्टर ने 9 प्रतिशत गिरावट देखी थी। देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में इन आठ सेक्टरों का 40 प्रतिशत से ज्यादा योगदान रहता है। चिंता की बात यह है कि पिछले दो महीनों से इनके उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। फरवरी में इनका उत्पादन 7.1 प्रतिशत बढ़ था।


<script data-ad-client="ca-pub-6494377353666219" async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>


Comments

Popular posts from this blog

बुरहानपुर में बवाल : दरगाह का ताला तोड़कर अंदर घुसे हिंदू संगठन के कार्यकर्ता, हनुमान जी की प्रतिमा होने का दावा, चोला चढ़ा कर किया हनुमान चालीसा का पाठ

धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर मामले में नया मोड़ : कमिश्नर और कलेक्टर को हाईकोर्ट की अवमानना का नोटिस

नप गए SDM, तीन महीने की जेल और 25000 जुर्माना:आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला