Lockdown 4.0 : केंद्र ने पूरी की राज्य सरकारों की 'मुराद', मिली जोन तय करने की छूट

नई दिल्लीकेंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया है। इस बार कंटेनमेंट जोन को छोड़कर बाकी इलाकों में कई तरह की रियायतें दी गई हैं। हालांकि इस बार के लॉकडाउन में राज्यों को यह तय करने की छूट दी गई है कि उनके प्रदेश में कौन सा इलाका कंटेनमेंट, रेड, ऑरेंज या ग्रीन जोन में आएगा। हालांकि इन जोनों में कौन सी रियायतें दी जा सकती हैं इसको लेकर दिशानिर्देश केंद्र सरकार ने जारी कर दिए हैं।


कई राज्य लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे कि उन्हें अपने राज्यों में रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन तय करने की छूट की जाए। प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी इसकी मांग उठी थी। सोमवार को हुई बैठक में सबसे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा कि जमीन पर कोरोना के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी राज्यों की होती है इसलिए उन्हें यह तय करने दिया जाए कि किस इलाके में कितनी छूट दी जानी चाहिए और किन गतिविधियों पर पाबंदी रहनी चाहिए।


राज्य सरकारों ने दिया था यह तर्क
राज्यों का तर्क था कि जोन तय करने की छूट मिलने से राज्य सरकार संक्रमण पर तो प्रभावी तरीके से रोक लगा ही पाएगी, साथ ही प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियां भी शुरू हो सकेंगी जिससे संकट के बीच डूबती अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाया जा सकेगा। नए नियमों के बाद अब रेड जोन और ऑरेंज जोन के भीतर जिले के अधिकारी कंटेनमेंट जोन और बफर जोन तय करेंगे। कंटेनमेंट जोन में केवल जरूरी गतिविधियों की ही अनुमति होगी। इन इलाकों में लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया जाएगा और किसी भी व्यक्ति को वहां आने-जाने की अनुमति नहीं होगी। केवल मेडिकल इमरजेंसी और जरूरी चीजों और सेवाओं की अनुमति होगी। इन इलाकों में घर-घर जाकर संक्रमित लोगों का पता लगाया जाएगा।


जोन तय करने की छूट से राज्यों को कितना फायदा
राज्य सरकारों के अलावा आम लोगों और व्यवसायियों में भी जोन निर्धारण के तरीकों को लेकर असंतोष उभर रहा था। जो जिले कोरोना से कम प्रभावित हैं और सिर्फ इक्का-दुक्का इलाकों से ही कोरोना संक्रमण के मामले आए थे, उन्हें भी रेड जोन में रखा गया था। रेड जोन में आर्थिक गतिविधियां नाममात्र की हो पाती हैं, इससे रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा था। जोन तय करने की छूट मिलने से राज्य सरकारें किसी जिले से कोरोना के केस मिलने पर यह तय कर पाएंगी कि पूरे जिले को रेड जोन में रखना है या सिर्फ उस इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाकर जिले के बाकी हिस्सों में आर्थिक गतिविधियां शर्तों के साथ जारी रखी जाएं।


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