राज्यसभा चुनाव में भाजपा को अपने ही दो विधायकों ने दिया गच्चा, लेकिन कार्रवाई नहीं करेगी पार्टी

भोपाल। राज्यसभा चुनाव में कॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर भाजपा कार्रवाई नहीं करेगी। वजह- दोनों विधायकों का अनुसूचित जाति वर्ग से होना है। अगले महीनों में जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से 9 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग से हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा को इन्हीं क्षेत्रों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इसी वजह से पार्टी को डर है कि अगर विधायकों पर कार्रवाई की गई तो उपचुनाव में नुकसान हो सकता है।


दरअसल, 4 साल पहले एट्रो सिटी एक्ट (अजा-जजा अत्याचार निरोधक कानून) का सबसे ज्यादा विरोध ग्वालियर-चंबल संभाग में ही हुआ था। 9 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण सभी पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। उपचुनाव में भाजपा यहां फूंक-फूंककर कदम रख रही है। वैसे भी कांग्रेस से आए पूर्व विधायकों के चलते पूरे अंचल में राजनीतिक घमासान मचा है। एक तरफ कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व विधायकों को चुनाव मैदान में उतरना तय है तो भाजपा नेताओं को अपने अस्तित्व की चिंता सता रही है।


भाजपा विधायकों के सामने क्रॉस वोटिंग हुई


ऐसा नहीं है कि भाजपा को अपने विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की खबर नहीं थी। इसी वजह से पार्टी के बड़े नेता विधायकों के सीधे संपर्क में थे। दिल्ली से भी तीन बड़े नेता भोपाल में डेरा जमाए हुए थे। दो बार मॉकपोल भी उनके सामने कराया गया था। यहां तक तो ठीक है। मतदान स्थल पर भी भाजपा के अरविंद भदौरिया और अजय विश्नोई बैठे हुए थे। राज्यसभा चुनाव में नियम है कि विधायक को अपना मत पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद विधायकों को दिखाकर ही मतपेटी में डालना पड़ता है। भाजपा ने एक दिन पहले अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी किया था कि किस क्रम के विधायक को किस प्रत्याशी को मतदान करना है। व्हिप के अनुसार, गोपीलाल जाटव को ज्योतिरादित्य सिंधिया को मत देना था। लेकिन, उन्होंने दिया- कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को। ऐसा ही जुगल किशोर बागड़ी ने भी किया था। अगर भाजपा कार्रवाई करने का मन बनाती तो दोनों विधायकों की सदस्यता व्हिप उल्लंघन के मामले में निरस्त हो सकती है।


भाजपा जानती थी कि जाटव क्रॉस वोटिंग करेंगे


विधायक बागड़ी का मत तो निरस्त हो गया। लेकिन, गोपीलाल जाटव ने पार्टी प्रतिनिधियों के सामने क्रॉस वोटिंग की। राजनीतिक गलियारों में इसका सीधा-सा अर्थ लगाया जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को पता था कि वे ऐसा करने वाले हैं। खास बात तो ये है कि गोपीलाल जाटव चार बार के विधायक हैं और इस समय गुना से निर्वाचित हैं। क्रॉस वोटिंग के सवाल पर वे कह चुके हैं कि वे राज्यसभा और राष्ट्रपति चुनाव तक के लिए मतदान कर चुके हैं। उन्होंने कोई गलती नहीं की है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा प्रत्याशी रहे दिग्विजय सिंह से भी उनके व्यक्तिगत संबंध हैं। पिछला लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी से ही हारे थे। कहा जा रहा है कि क्रॉस वोटिंग करने के बाद जाटव ने सबसे पहले सिंधिया को जीत की बधाई दी थी।


इसी वजह से टाला गया था मंत्रिमंडल विस्तार


एक महीने से टल रहा शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार का एक कारण राज्यसभा चुनाव भी था। सिंधिया समर्थक करीब 8 से 11 पूर्व विधायकों का मंत्री बनना तय है। बाकी को निगम मंडल में एडजस्ट किए जाने की चर्चा है। ऐसे में भाजपा के कई वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। ये विधायक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने नाराजगी भी जता चुके हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री को मिलाकर अधिकतम 35 मंत्री रह चुके हैं। अभी मुख्यमंत्री को मिलाकर छह मंत्री हैं। 29 को और शपथ दिलाई जा सकती है। लेकिन, शिवराज करीब पांच स्थान रिक्त रखना चाहते हैं।


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