ऑनलाइन परिचर्चा में याद किए गए फिराक गोरखपुरी
गोरखपुर। लिटरेरी सोसायटी के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय शायर एवं संचालक डॉक्टर कलीम कैसर के निर्देश पर एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन जूम एप के माध्यम से किया गया। और फिराक गोरखपुरी को याद करके उनके जन्मदिन के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी के संस्थापक व शायर मिन्नत गोरखपुरी ने कहा इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं से गोरखपुर शहर में जन्म लियो साहित्यकारों एवं लेखकों से परिचय कराना है एवं उनके द्वारा किए गए योगदानो को अपने समक्ष रखें आगे की तरफ बढ़ना है ताकि हमारी संस्कृतिक विरासत बाकी रहे। गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी के संरक्षक और साहित्य प्रेमी डॉ रजनी कांत श्रीवास्तव "नवाब" ने कहा कि उर्दू साहित्य के अनमोल रतन थे फिराक साहब। कार्यक्रम के संयोजक व युवा शायर फरहान आलम कैसर ने कहा कि फिराक गोरखपुरी उर्दू साहित्य का महासागर थे उनके द्वारा दिए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। इस अवसर पर द सिविलीस एस ए एस एकेडमी के चेयरमैन खैरुल बशर ने कहा कि रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी के ऊपर कितने लोगों ने पीएचडी करके अपने डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है उनको जो स्थान मिलना चाहिए था वह उनको नहीं मिला। आब_रु_ए गजल खुमार बाराबंकवी के पोते फ़ैज़ खुमारमार बाराबंकी ने कहा मुझे खुशी हुई यह देख कर की गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी अपने बुजुर्गों और उनकी स्मृतियों को ऐसे सजोने का काम कर रहा है साथ ही साथ उन्होंने कहा कि फिराक गोरखपुरी एक ऐसे शायर थे। जो अपने गम को अपनी दुल्हन समझ कर उसको शब्दों और गजलें का सुंदर आकार देकर समाज के सामने रखते थे। इस अवसर पर गोरखपुर शहर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के दुआ लेखक कवि और शायर उपस्थित रहे जिनमें पंकज सिद्धार्थ नगरी, काशिफ अदीब मकनपुरी, वसीम मजहर गोरखपुरी, सौम्या यादव, डॉक्टर मुस्तफा खान, शाहीन शेख, इज्जत गोरखपुरी, शालिनी दुबे, सुमैया सिद्दीकी, फहीम फातिमा , गणेश दुबे, मोहम्मद हम्माद, मंतशा खान आदि ने भी अपनी बातें रखी।
इस अवसर पर जूम ऐप के माध्यम से सरदार जसपाल सिंह, डॉक्टर के शर्मा, अरशद अहमद, शमशाद आलम एडवोकेट, मिनहाज सिद्दीकी, आशीष रुंगटा, सुनिशा श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
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