कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा : गुमान सिंह बर्खास्त, लेकिन एमजीएम पर कार्रवाई कौन करेगा?
भोपाल /इन्दौर /धार(सैयद रिजवान अली ) । कोरोना संक्रमण सरकारी महकमे के लिए एक बड़े फर्जीवाड़े का नया तरीका बन गया है या यूं कहे कि सरकारी अधिकारियों के लिए ये दुधारू गाय बन गया है। कोरोना के नाम पर जितना चाहों फर्जीवाड़ा करो, कोई देखने वाला नहीं कोई टोकने वाला नहीं है। ऐसा ही मामला धार में सामने आया है। जहां एक सरकारी कर्मचारी के बिना सैंपल दिए ही उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई।
दरअसल, कमल मुजालदा एक सरकारी कर्माचरी है, जिन्होंने बताया कि उन्होंने सैंपल नहीं दिया इसके बावजूद उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। मुजालदा के मुताबिक ऐसा सिर्फ उनके साथ नहीं बल्कि उनके गांव के कई लोग हैं जिन्होंने सैंपल दिया ही नहीं और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई।
इस मामले में गुमान सिंह ने बताया जो कि लैब टैक्निशियन हैं। गुमान सिंह के मुताबिक 8 सितंबर को जिस टांडा गांव में टीम सैंपलिंग करने गई थी उस टीम में गुमान सिंह भी शामिल थे। गुमान सिंह ने मीडिया के कैमरों के सामने खुद कबूल किया कि केवल 4 लोगों के सैंपल लिए थे और बाकी फर्जी सैंपल लिए थे।
गुमान सिंह ने ऐसा क्यों किया?
गुमान सिंह को शक था कि फर्जीवाड़ा हो रहा है और गुमान सिंह ने बगैर अधिकारियों को बताए ये कारनामा कर दिया और अपने शक को पुख्ता कर लिया कि कोरोना जांच के नाम पर हो रहा है फर्जीवाड़ा। जांच रिपोर्ट आई और लोगों ने शिकायत की तो अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए। जिसके बाद सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दे दिए और गुमान सिंह को ही बर्खास्त कर दिया।
लेकिन सवाल तो इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज पर है जहां ये सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे जब पानी भेजा था तो सैंपल पाजिटिव कैसे हो गए। यानी पूरे सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है, कि कैसे कोरोना संक्रमण के नाम पर बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा रहा है। सवाल यह है कि गुमान सिंह को तो बर्खास्त कर दिया लेकिन एमजीएम की बड़ी मछलियों पर कौन हाथ डालेगा?
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