यौमे पैदाइश पर याद किए गए अंतरराष्ट्रीय शायर आबरू - ए - ग़ज़ल "खुमार बाराबंकवी"

गोरखपुर । उर्दू साहित्य में आब_रु_ए_ग़ज़ल के नाम से प्रसिद्ध खुमार बाराबंकवि को उनके जन्मदिन के 101 में वर्षी के अवसर पर गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी एवं कारवान ए इंसानियत की तरफ से एक ऑनलाइन गोष्टी एवं परिचर्चा में याद किया गया तथा इस अवसर पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई लेखकों और शायरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और उनको खिराज ए अकीदत पेश की। इस अवसर पर खुमार बाराबंकवि द्वारा उर्दू अदब में दिए गए योगदान पर भी परिचर्चा किया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए कारवां ने इंसानियत के अध्यक्ष तारिक जिलानी ने कहा कि आपके अंदर जो सबसे बड़ी खूबी थी वह अपने मुल्क अपने शहर अपने दोस्तों से सच्ची मोहब्बत करते थे। इस अवसर पर हाजी वजीर वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक शमशाद आलम एडवोकेट ने कहा कि आपका सादा मिजाज और सादा लिबास आपकी उर्दू दुनिया में एक अलग पहचान बना। जिसकी जीती जाती मिसाल आप के पोते वह मशहूर शायर फैज खुमार बाराबंकवी में मिलती है। वही गोरखपुर शहर के नौजवान शायर और समाजसेवी मिन्नत गोरखपुरी ने कहा कि खुमार बाराबंकी साहब एक ऐसी शख्सियत थे जो अपने निजी जिंदगी में जैसे थे वैसे ही मुशायरे और कवि सम्मेलन की दुनिया में भी दिखते थे ,कोई दोहरा चेहरा नहीं था आपका । इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय शायर व संचालक डॉक्टर कलीम कैसर ने कहा कि खुमार बाराबंकवी साहब के साथ मैंने बहुत सारे मुशायरे पड़े हैं खुमार साहब की मकबूलयत न सिर्फ एशिया में बल्कि यूरोप और खाड़ी देशों में भी बहुत अधिक थी और लोग उनसे रूबरू होकर ग़ज़ल सुनना चाहते थे। इस अवसर पर उस्ताद शायर रामप्रकाश बेखुद ने कुछ शेर यू पढ़ें.....


आबरू-ए-ग़ज़ल हज़रते ख़ुमार बाराबंकवी के यौम-ए-पैदाइश पर...


हम आप ने तो कही और बस सुनी है ग़ज़ल


मगर 'ख़ुमार' ने बेख़ुद दर अस्ल जी है ग़ज़ल


उठी जो 'मीर' के पहलू से तो 'जिगर' से मिली


फिर उसके बाद तेरी हो के रह गयी है ग़ज़ल।


इस अवसर पर खुमार बाराबंकवी के पोते फैज खुमार बाराबंकवि ने शेर पढ़ा कि ......


फिर क्यों ना तुमको मुकद्दर में नाज हो,


मिलता है सिलसिला जो तुम्हारा खुमार से ।।


इस अवसर पर जूम एप के माध्यम से डॉक्टर सत्य पांडे पूर्व मेयर गोरखपुर, सरदार जसपाल सिंह, अरशद अहमद, फरहान आलम कैसर, वसीम मजहर गोरखपुरी, इज्जत गोरखपुरी, इरफान कुरैशी, मोहम्मद सिद्दीक पहलवान, डॉ एस एच एफ आबिदी, सैयद इरशाद अहमद, अनीस अहमद एडवोकेट, शकील शाही, सौम्या यादव, शाहीन शेख, शालिनी दुबे, सुमैया सिद्दीकी, गणेश दुबे ने अपने ख्याल का इजहार किया और शेरो शायरी पेश की।


अंत में कार्यक्रम के संयोजक फ़ैज़ खुमार बाराबंकवि और सहसंयोजक मिन्नत गोरखपुरी ने सभी शायरों और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।


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