गांधी का कातिल मशहूर हो गया, रक्षा करने वाले फरामोश हैं : ठाकुर
- गांधी के प्राण रक्षक बतख मियां पर आधारित पुस्तक का विमोचन
भोपाल। इतिहास को जानकर भुलाया जा रहा है। नवाब के, पैसे वाले या रसूखदार का बेटा होता है तो किस्सों में शामिल हो जाता, एक गरीब किसान के बेटे बतख मियां के लिए कौन लिखता।बतख मियां की कुर्बानियों का बदला उन्हें यातनाओं से मिला।
कुर्बानी देने वाले के साथ यही होता आया है।
वरिष्ठ समाजवादी नेता रघु ठाकुर ने यह बात कही। वे रविवार को सेवानिवृत्त डीजीपी एम डबल्यू अंसारी द्वारा लिखित पुस्तक बतख मियां की अनोखी कहानी के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। ठाकुर ने कहा कि आज़ादी के दौर में मुल्क के लिए जान की बाजी लगाने वालों का हुकूमतों ने ख्याल नहीं किया। वजह सियासत करने वालों का डर थी, उन्हें डर था कि इतिहास को सच के साथ पेश किया जाएगा तो दुनिया की नजर में वह हीरो बन जाएंगे, जिन्हें वह सिरे से नकारना चाहते थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भिवंडी महाराष्ट्र से आए यासीन मोमिन ने कहा कि हिंदुस्तान चिश्ती नानक का मुल्क है। मुल्क की आज़ादी सबके साथ कोशिश से ही मिली है। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ मेहताब आलम ने कहा कि साझी विरासत को आगे बढ़ाने की बात की जाना चाहिए। बतख मियां पर बात हुई है तो चैन सिंह और बहादुर सिंह पर भी बात हो। उन्होंने इतिहास को पूरी हकीकत के साथ मंज़र ए आम पर लाने की बात कही और असल इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर जोर दिया। पुस्तक के लेखक अंसारी ने कहा कि जिस गांधी को हिन्दुस्तान अपने पिता के रूप में देखता है, उसके प्राण रक्षक बनने वाले लोग इतिहास के पन्नों से नदारद हैं, जबकि गांधी के कातिल का नाम दुनिया जानती है। उन्होंने कहा कि बतख मियां से शुरुआत हुई है, बाकी देश के लिए कुर्बान होने वाले हर गुमनाम शख्सियत पर लिखने और उसको समाज के सामने लाने का सिलसिला निरंतर जारी रहेगा। इस मौके पर डॉ मेहताब आलम, डॉ युनूस फरहत, डॉ आज़म खान, डॉ कमर अली शाह, जावेद बेग, मकबूल वाजिद आदि भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजुम बाराबंकवी ने किया।
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