कृषकों को सम-सामयिक सलाह : पाले से बचाव के लिए फसलों में करें हल्की सिंचाई

(समग्र पांडेय) 

दमोह। उप संचालक कृषि दमोह राजेश कुमार प्रजापति ने किसान भाईयों से कहा है कि पाला पड़ने की संभावना होने पर पाले से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें, अथवा थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाऊडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील-सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर अथवा 0.1 प्रतिशत् गंधक अम्ल का छिड़काव करें ।

उन्होंने कहा देर से बुवाई की गई फसल में सिंचाई के साथ एक तिहाई नत्रजन (33 किलोग्राम /हैक्टेयर) अर्थात् यूरिया (70-72 किलोग्राम /हैक्टेयर) सिंचाई के पूर्व भुरक कर दें। अगेती बुवाई वाली किस्मों में और सिंचाई न करें, पूर्ण सिंचित समय से बुवाई वाली किस्मों में 20-20 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है । बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें, अन्यथा फूल गिर जाते हैं, दानों का मुह काला पड़ जाता है व करनाल बंद तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है। पौध एवं समय से बोई गई फसलों में उगे हुए खरपतवारों को जड़ सहित उखाड़कर जानवरों के चारे के रुप में इस्तेमाल करें या गड्ढे में डालकर कार्बनिक खाद् तैयार करें।

उन्होंने कहा देर से बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए खुरपी या हैण्ड हो से फसल में निदाई-गुड़ाई करें। श्रमिक उपलब्ध न होने पर जब खरपतवार 2-4 पत्ती के हैं, तो चैंड़ी पत्ती वालों के लिए 4 ग्राम मेटसल्फ्युरोंन मिथाइल या 650 मिलीलीटर 2-4-डी/है, का छिड़काव करें। संकरी पत्ती वालों के लिए 60 ग्राम क्लोडिनेफोप प्रोपरजिल प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़कें। दोनों तरह के खरपतवारों के लिए उपरोक्त को मिलाकर या बाजार में उपलब्ध इनके रेडी-मिक्स उत्पादों को छिड़कें। छिड़काव के लिए स्प्रेयर में फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें ।

 गेहूँ फसल के ऊपरी भाग (तना व पत्तों) पर गेहूँ की इल्ली तथा माहू का प्रकोप होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिली ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गेहूँ में हैड ब्लाईट रोग आने पर प्रोपिकेनाजोल एक मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। उच्च गुणवत्तायुक्त बीज जैसे कि, आधार बीज की फसल में एक बार और रोगिंग करने से बीज की गुणवत्ता बढ़ जाती है।

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