यूपी की योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटके पर झटका
- आजम खान, पत्नी और बेटे को दी गई जमानत के खिलाफ याचिक खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जन्म प्रमाणपत्र के कथित जालसाजी मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को दी गई जमानत को चुनौती देने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार की तीन अलग-अलग याचिकाओं को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की एक पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 13 अक्टूबर, 2020 के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। इससे पहले भी यूपी की योगी सरकार को डाॅ कफील मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लग चुका है।
हाईकोर्ट ने जमानत दी थी
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती हैं। हम यह स्पष्ट करते हैं कि आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी से सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह केवल जमानत देने के संबंध में था।’ उच्च न्यायालय ने मामले में आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला को जमानत दे दी थी। इन तीनों ने पिछले वर्ष फरवरी में रामपुर की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था क्योंकि अब्दुल्ला के जन्म प्रमाणपत्र के कथित जालसाजी से संबंधित मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
फर्जी प्रमाण पत्र मामला
भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य आकाश सक्सेना ने शिकायत दर्ज कराई गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी को उनके बेटे के लिए विभिन्न स्थानों से दो जन्म प्रमाण पत्र जारी किये गये, एक जन्म प्रमाण पत्र 28 जनवरी, 2012 की तिथि में नगर पालिका परिषद, रामपुर से और दूसरा 21 अप्रैल, 2015 की तिथि में नगर निगम लखनऊ से जारी किया गया है।
ये रहा मामला
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पहले जन्म प्रमाण पत्र में जन्म की तिथि एक जनवरी, 1993 है जिसका इस्तेमाल पासपोर्ट आदि बनाने के लिए किया गया और विदेश यात्रा में इसका दुरुपयोग किया गया। इसमें आरोप लगाया गया है कि दूसरे जन्म प्रमाण पत्र में जन्म की तिथि 30 सितम्बर, 1990 दर्ज है और इस प्रमाण पत्र का ‘‘दुरुपयोग’’ सरकारी दस्तावेजों, राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने आदि में किया गया।
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