सद्भाव की मिसाल : हिंदू के घर गाय की मौत, मुस्लिम पड़ोसी ने दफनाया
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में लोगों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है। इस दौरान सबकी आंखें नम थी। जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र स्थित प्रतापपुरा गांव में एक हिंदू परिवार के घर गाय की मौत हो गई थी। मुस्लिम पड़ोसियों ने गाय को दफना कर गांव वालों का दिल जीत लिया...
भोपाल / भिंड। कुछ लोग धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश में लगे रहते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के भिंड जिले में 2 समुदायों के लोगों ने गंगा-जमुनी तहजीब की जबरदस्त मिसाल पेशल की है। भिंड के अटेर विधानसभा क्षेत्र के प्रतापपुरा गांव से जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसे देख कर आंखें नम हो जाएंगी। हिंदू परिवार के घर में एक गाय की मौत के बाद पड़ोसी मुस्लिमों ने गौ माता को सुपुर्द ए खाक किया है।
32 साल की उम्र में गाय का निधन
दरअसल, प्रतापपुरा गांव में रहने वाले दिनेश त्रिपाठी के घर रविवार के दिन गौ माता की मौत हो गई। तकरीबन 32 साल की उम्र पूरी करने के बाद गौ माता ने प्राण त्याग दिए। अक्सर घरों में पली हुई गौ माता की मौत हो जाने के बाद उनके शव को सड़क किनारे या सुनसान इलाके में फेंक दिया जाता है। यहां ऐसा नहीं हुआ है।
पड़ोसी सलीम खान पहुंचे घर
गौ माता की मौत की खबर दिनेश त्रिपाठी के पड़ोस में रहने वाले सलीम खान और उसके परिवार को लगी तो वे सीधा दिनेश त्रिपाठी के घर पहुंच गए। उन्होंने दिनेश त्रिपाठी से कहा कि वह गौ माता के शव को पूरे विधि विधान के साथ दफनाए। सलीम खान की बात सुनकर दिनेश त्रिपाठी भी गौ माता के शव को दफनाने के लिए तैयार हो गए।
गांव में ही दफनाया
इसके बाद सलीम खान और उसके परिजनों ने दिनेश त्रिपाठी के साथ मिलकर गांव में ही मौजूद चंबल कॉलोनी के मैदान में गहरा गड्ढा खोदा और उस गड्ढे में पूरे विधि विधान के साथ गौ माता के शव को सलीम खान और उसके परिवार की मदद से सुपुर्द ए खाक किया गया। मुस्लिम परिवार के दिल में गौ माता के प्रति इस तरह की आस्था और भाव देखकर हर कोई हैरान रह गया।
देखने के लिए उमड़ी भीड़
दरअसल, जिले में आज से पहले ऐसा नजारा कभी देखने को नहीं मिला था। गांव और आसपास के लोगों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली लोग देखने के लिए वहां उमड़ पड़े। जब तक सुपुर्द ए खाक की सारी प्रक्रिया पूरी नहीं हो गई लोग वहां खड़े हो कर देखते रहे। इस दौरान दोनों समुदाय के लोग मौजूद थे।
नम हो गई आंखें
गाय पिछले 32 साल से दिनेश त्रिपाठी के परिवार का हिस्सा थी। इसलिए अंतिम विदाई के वक्त सभी की आंखें नम थी। साथ ही वहां मौजूद लोग वीडियो भी बना रहे थे।
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