किसान आंदोलन : सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया, कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अडिग किसान
संयुक्त किसान मोर्चा की विज्ञप्ति के अनुसार, गुरुवार को ही किसानों की पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही वहीं किसानों ने दिल्ली की रिंग रोड पर ट्रेक्टर रैली करने की बात दृढ़ता से रखी।
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध दूर नहीं हो पा रहा है। सरकार की ओर से बुधवार को कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए रोकने का प्रस्ताव किसानों के समक्ष रखा गया था लेकिन आंदोलनरत किसानों ने इसे ठुकरा दिया है। वे कृषि कानूनों को रद्द करने से कम किसी बात के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार की ओर से रखे गए प्रस्ताव में कहा गया था कि वह एक विशेष समिति गठित करने को तैयार है जो तीनों नए कानूनों के साथ-साथ किसानों की सारी मांगों पर विचार करेगी। सरकार ने यह भी प्रस्ताव रखा था कि जब तक समिति समीक्षा पूरा नहीं कर लेती, तीनों नए कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखा जाएगा।
गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार की ओर से रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गयी। इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से इस आंदोलन में अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित कमी गई।
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