MP : मुख्यमंत्री जी ! "हेल्पलाइन" में हो रही धांधली...!

  • दो महीने तक टालते रहे शिकायत, जवाब से बचने कैंसिल कर दिया ट्रांसफर
    CM शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो) 

  • खान आशु

भोपाल। प्रदेश की अवाम की समस्याओं, मुश्किलों, परेशानियों और शिकायतों को एक उचित समाधान देने की मंशा के साथ वजूद में लाई गई "सीएम हेल्पलाइन" अफसरों के हाथों की कठपुतली बनी नजर आ रही है। शिकायतों के घेरे में आए अफसर कर्मचारी शिकायतकर्ता को गुमराह करने से लेकर धमकाने और प्रलोभन देने में लगे हुए हैं। एक ताजा मामले में तो दो महीने तक शिकायत को यहां से वहां तक टहलाने के बाद तबादले के बाद नियमविरुद्ध रोके गए कर्मचारी का स्थानांतरण निरस्त कर दिया गया है। इस कार्यवाही के बाद शिकायत पर निराकृत दर्ज कर दिया गया है।


मामला धार जिला मुख्यालय का है। यहां स्थित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग में पदस्थ क्लर्क शिव मेहता का तबादला करीब दो साल पहले बड़वानी हुआ था। लेकिन विभाग प्रमुख संजय सोलंकी के हर खुले और गोपनीय काम के राजदार मेहता को करीब दो साल तक तबादला वाले स्थान बड़वानी के लिए रिलीव नहीं किया गया। मामले को लेकर की गई चिट्ठी पत्री भी बेअसर रही। जिसके बाद इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गई। करीब दो माह पहले हुई इस शिकायत पर लगातार गोलमोल कारवाई की जा रही है। कभी आवेदन की जांच गलत विभाग को भेज दी जाती है तो कभी जांच करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी को ही पाबंद कर दिया जाता है। मामला टालते हुए इस हाल में पहुंच गया है कि अब शिव मेहता का दो साल पहले हुआ तबादला निरस्त कर दिया गया है। सीएम हेल्पलाइन को गुमराह करते हुए अपनी टीप में जांच अधिकारी संजय सोलंकी ने चस्पा कर दिया है कि शिकायत का समाधान कर दिया गया है। जबकि तबादला निरस्तीकरण की कार्यवाही सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के बाद किया गया है। मामले में अब इस बात की जांच भी शामिल होना चाहिए कि तबादले के दो साल बाद तक शिव मेहता को धार कार्यालय में किस अधिकार और नियम के तहत रोका गया है।

दफ्तर में बैठ रिपोर्ट तैयार

सूत्रों के मुताबिक धार जिले के जीराबाद क्षेत्र में प्रदूषण और ग्राम टोंकी में बिना अनुमति एवम योग्य परमिशन के अमानक कचरा जलाया जा रहा है। दोनों स्थानों पर आमजन के स्वास्थ्य और पर्यावरण का नुकसान हो रहा है। सीएम हेल्पलाइन में हुई शिकायत के बाद जांच की जिम्मेदारी इंदौर स्थित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गई थी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों द्वारा मौके पर पहुंचे बिना ही रिपोर्ट पेश कर दी गई है। जिसमें किसी तरह के नुकसान की संभावना को नकार दिया गया है। सूत्रों ने ये भी बताया कि जांच अधिकारी द्वारा शिकायतकर्ता को इस बात से सहमत होने के लिए भी दलीलें दी कि किसी तरह के प्रदूषण के हालात नहीं हैं। उन्होंने इस बात को भी आधार बनाया कि भोपाल में रहने वाले किसी व्यक्ति द्वारा धार जिले की शिकायत क्यों की जा रही है। जबकि सीएम हेल्पलाइन की गाइड लाइन में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि शिकायतकर्ता प्रभावित क्षेत्र का मूल निवासी होना चाहिए।

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