लॉक डाउन पॉजिटिव : पिछले चरण में इतना कुछ खो दिया, अब छोटे नुकसान से भी डर लगता है..!


भोपाल।
कुछ महीनों का छोटी सी अवधि... एक के बाद एक करते परिवार ही नहीं खानदान के सिर पर होते वज्रपात...! हमने पिता को खोया, देश ने अपना शायर खो दिया...! सिलसिला शुरू हुआ तो अपनी लहर में मौसी, मौसा, फूफा और कितने ही अजीजों को बहा ले गया...! अब बीमारी से ज्यादा अपनों के नुकसान से डर लगने लगा है। दूसरे चरण में हालात बिगड़ने लगे तो खुद को घर में कैद कर लिया है। जरूरत के भी बाहर निकलने को अवॉइड करते हैं। बच्चों के साथ टाइम स्पेंड कर रहे हैं और बाकी लोगों को भी सलाह देते हैं कि डर के आगे जीत है...! थोड़ा सा डर, बहुत सारा एहतियात इस मुश्किल घड़ी को आसानी से गुजार सकता है।

दुनिया के मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी के ज्येष्ठ पुत्र फैसल राहत एक बैंक में मैनेजर हैं। कोरोना के दूसरे चरण की शुरुआत और लॉक डाउन के हालात के साथ ही उन्होंने वर्क फ्रॉम होम को तरजीह दी है। कहते हैं पिछले दौर में इतना कुछ खो दिया कि अब हर छोटे नुकसान से डर लगने लगा है। फैसल बताते हैं कि पिछले साल का महीनों चला लॉक डाउन दुनिया भर के लिए मलाल करने जैसा था, लेकिन इस दौरान एक वरदान मिला, जो जिंदगी की धरोहर बन गया। मुशायरों की मसरूफियात के चलते राहत साहब घर में कम ही ठहर पाते थे। बचपन से लेकर इस उम्र में आने तक उनसे सुबह किसी शहर से लौटकर आने और शाम को किसी दूसरी दिशा में जाने की तैयारी के बीच ही मुलाकात हुआ करती थी। लॉक डाउन की लंबी छुट्टियों में उनके साथ लंबा समय बिताने का मौका मिला। फिर अचानक एक लहर आई और हमसे वह छीनकर ले गई, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

अब घर, बच्चे, पकवान प्रयोग, इबादत

फैसल बताते हैं कि Corona और लॉक डाउन के इस चरण में अपनों को और समाज को सुरक्षित रखने की नीयत के साथ खुद को घर में कैद कर रखा है। दोस्तो, रिश्तेदारों और जान पहचान वालों को भी सोशल मीडिया के जरिए समझाइश और ताकीद करते रहता हूं कि एहतियात रखें और सुरक्षित रहें। इस लॉक डाउन का पॉजिटिव पक्ष ये है कि काम की भागदौड़ के कारण परिवार को समय न दे पाने का मलाल खत्म हो गया है। अब बच्चों के साथ समय बीत रहा है, घर में नए पकवान बनाने के प्रयोग किए जा रहे हैं और खासकर रमजान माह की इबादत, तिलावत, अफ्तार और सेहरी के लिए माकूल समय निकल रहा है।

डिस्टेंस है, लेकिन करीबी बढ़ी

लॉक डाउन से मिले समय में परिवार और खानदान के लोगों को जोड़कर बनाया गया सोशल मीडिया ग्रुप एक्टिव हो गया है। भाई अजहर, आशु, दानिश, संजीद, नावेद, सतलज, अनीस, इदराक, शोएब और बहनें शगुफ्ता, शिबली, रेशमा, मिस्बा, ताबीर, बिन्नी से दिन में कई बार बात होती है। हालचाल, खैरियत पता चल जाती है।

अपनी सुरक्षा, परिवार की हिफाजत

फैसल राहत कहते हैं कि अपनों को सुरक्षित रखने के लिए खुद को सुरक्षित रखने की जरूरत है। घरों में रहें, गाइडलाइन का पालन करें और अपने परिवार के साथ पूरे समाज को सुरक्षित रखने का कारण बनें।

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