मदद ऐसे भी होती है... नीयत, कोशिश और जज्बा हो तो सब आसान
भोपाल(ब्यूरो) । मदद करने की नीयत और जज्बा हो तो फिर दूरियां मायने नहीं रखती। सोशल मीडिया के इस दौर में ऐसी मुश्किलों को और आसानी मिल गई है। मुंबई के सांताक्रूज क्षेत्र में राशन के लिए परेशान हो रहे एक बुजुर्ग दंपति के लिए कोशिश शुरू की गई तो पूरे दिन की हलचल और फिक्र का नतीजा देर रात बुजुर्ग के चेहरे पर राशन मिल जाने की तसल्ली के साथ आया।
रात के अंधेरे में
मुंबई के सांताक्रुज इलाके में एक बुजुर्ग दंपति रहती है। बच्चों का साथ नहीं है और दंपति की स्थिति ऐसी नहीं है कि वे घर से बाहर निकल कर जरूरत का राशन जुटा पाएं। शहर में लॉक डाउन के हालात और उनकी आर्थिक स्थिति ने भी कदम रोक रखे हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर चली एक कोशिश ने शुक्रवार रात उनके राशन की व्यवस्था कर दी गई है। देने वाले भी रात के अंधेरे में ऐसे समय पहुंचे कि बुजुर्ग दंपति को दान या मदद लेने की शर्मिंदगी भी नहीं उठाना पड़ी।
ऐसे चली कोशिश
मुंबई में ही बुजुर्ग दंपति के पड़ोस में रहने वाली एक महिला मिनुफा मलिक ने भोपाल के एक रिपोर्टर खान आशु को इस दंपति की परेशानी बताई। खान ने ओरंगाबाद के अपने मित्र अंजुम इनामदार से इस बारे में जिक्र किया। इनामदार ने मुंबई में राशन वितरण करने वाले दो लोगों के नंबर भेजे। इनमें से एक जलाल खान से संपर्क किया गया तो उन्होंने तत्काल बुजुर्ग दंपति का ब्यौरा मांगा। रात का अंधेरा गहराते ही जलाल ने अपनी टीम के सदस्यों को बुजुर्ग के घर राशन के साथ भेजा। राशन के साथ इस बात की तसल्ली भी दी गई है कि भविष्य में किसी जरूरत के लिए सीधे उनसे संपर्क किया जा सकता है।
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