BMC को है क्या बड़े हादसे का इंतेजार ?
हादसों की हकीकत बयां करती दो तस्वीर |
- निगम अफसर सो रहे बेफिक्री की नींद
- कोरोनाकाल में शहर भगवान भरोसे
✍️राधेश्याम अग्रवाल
भोपाल। नगर निगम अधिकारी मूक दर्शक बने देख रहे हैं। क्या किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा में हैं? शहर की सड़कों में पानी भर गया है। सीवेज लाइन चौक पड़ी है। बड़े-बड़े नाले बंद पड़े हैं। मछली - मुर्गे काटकर खुलेआम बेचे जा रहे हैं। इस प्रकार असुरक्षित तरीके से मछली, मुर्गे काट करके क्या कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है? क्या कोरोना वायरस को नहीं फैलाया जा रहे है? महामारी के दौरान भोलीभाली जनता के साथ क्यों धोखाधड़ी की जा रही है? नगर निगम का दायित्व हैै कि वह इस मामले में स्वयं की जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाए।
ऐसा न करें
क्या कोरोना वायरस के अंतिम काल को भूल गए कि जिनके घरों में एक - एक नहीं, चार - चार लोग चले गए। अभी भी समझ जाएं और लोक सेवक का दायित्व निभाएं।
राजनेता क्या करेंगे
वह तो सरकार चलाएंगे। काम आपको चलाना है। हादसों के बाद भी आज शहर के कई ट्रांसफार्मर पर कब्जे कर लिए गए हैं। नीचे अतिक्रमण कर लिए गए है। आसपास भी अतिक्रमण करके लंबी- लंबी दुकानें बन गई हैं। वर्षाकाल में कभी भी यह दुर्घटना का कारण बनेंगे, तो कितनों के लिए काल के ग्रास भी बनेंगे। एक और नई बात गैस की लाइनें खोदी जा रही हैं । सड़क किनारे डाली मिट्टी बाहर रोड पर फेल रही है। वर्षा के कारण इन रास्तों का हाल, बेहाल है। कौन-कौन होगा इसका जवाबदेह, जब हादसे होंगे? समूचे शहर में जोनल अधिकारी बैठा दिए गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारी गाड़ियों में घूम रहे हैं, सब लग्जरी आनंद ले रहे हैं। उनके मुखिया भी सरकार के आदेश पर ताबड़तोड़ वैक्सीनेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में लगे हैं। यहां तक कि नगर निगम कमिश्नर, भोपाल कलेक्टर और जिला प्रशासन के लोग फोन भी नहीं उठाते। जवाब भी नहीं देते। ऐसी स्थिति में आम नागरिक शहर की समस्या किसे बताएं ? कहा जाता है कि सच कड़वा होता है इसलिए बुरा लगता है।
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं समाज सेवी हैं।)
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