हुसैन की याद में : ताजिए, जुलूस, अलम नहीं अकीदतों से मन रहा मुहर्रम


भोपाल।
कर्बला में हजरत ईमाम हुसैन की शहादत का त्यौहार मुहर्रम इस बार भी कोविड पाबंदियों के बीच सादगी से मनाया जा रहा है। शुक्रवार को योम ए आशूरा के दिन ताजियों का विसर्जन जुलूस की शक्ल में न होकर महज रस्म अदायगी की तरह होगा। 

12 अगस्त को इस्लामी नए साल की शुरुआत के साथ शुरू हुआ मुहर्रम का त्यौहार शुक्रवार को योम ए आशूरा के साथ पूर्ण होगा। हजरत ईमाम हुसैन की याद में मुस्लिम धर्मावलंबी घरों में रोजा, नमाज, तिलावत के जरिए अपनी खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश कर रहे हैं। शुक्रवार को शरबत और लंगर वितरण के जरिए भी गरीबों की सेवा की जाएगी। 

सूने इमामबाड़े

कोविड गाइडलाइन के चलते पिछले साल से ही ताजियों, अलम और अखाड़ों का निजाम नहीं किया जा रहा है। इस साल भी कलेक्टर द्वारा जुलूस पर लगाई गई पाबंदी के चलते शहर में बड़े ताजिया नहीं बनाए गए हैं। परंपरागत और मन्नत के लिए बनाए गए ताजियों का आकार भी महज सांकेतिक रखा गया है। जिनका विसर्जन नगर निगम द्वारा तय की गई व्यवस्था के साथ होगा। कर्बला पर लगने वाला मेला और शहर भर से निकलने वाले जुलूस इस बार नहीं होंगे।

पौधे लगाए किया कुर्बानी को याद


मप्र मुस्लिम विकास परिषद ने गुरुवार को राजधानी के कर्बला में पौधारोपण किया गया। शहर के गणमान्य लोगों और विभिन्न मसलको के धर्मगुरु मौजूद थे। इस मौके पर शिया धर्मगुरु डॉ रजी उल हसन हैदरी, ऑल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के अध्यक्ष डॉ ओसाफ शहमीरी खुर्रम ने कहा कोई भी काम आज के फायदे की बजाए कल मिलने वाले लाभ के नजरिए से की जाए। ताकि आज का काम आने वाली नस्ल याद रख सकें। पौधा रोपण भी इस्लाम में एक नेक काम के तौर पर ताकीद किया गया है। इस मौके पर मशहूर शायर मंजर भोपाली, ओलंपियन जलाल उद्दीन, एसएम सलमान आदि भी मौजूद थे। कार्यक्रम आयोजक मोहम्मद माहिर ने कहा कि मुहर्रम के मौके पर हर साल ये आयोजन किया जाता रहेगा।

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