रूहानी रिश्ते - कट्टरपंथी विचार धारा के ख़िलाफ़ हम आंदोलन को करेंगे तेज़ : नेपाली उलैमा
- सूफ़ी विचार धारा ही है दोनों देशों की असल ताकत : भारतीये उलैमा
बरेली, उत्तर प्रदेश। भारत-नेपाल के रुहानी रिश्तों को मजबूती प्रदान करने के लिए आज नेपाली उलमा का एक प्रतिनिधिमण्डल 2 दिवसीय दौरे पर दरगाह आला हज़रत पहुँचा, आला हज़रत के मजार पर चादरपोशी और दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रजा खा सुब्हानी मियां से मुलाकात करने के बाद तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के बैनर तले आयोजित होने वाली भारत-नेपाल उलैमा कांफ्रेंस में शरीक हुए।
भारत - नेपाल उलैमा की सयुंक्त बैठक को संयोजित करते हुए नेपाल देश के नायब काजी मुफ़्ती बशीर अहमद ने कहा कि नेपाल देश में कट्टरपंथी सोच के लोगों की गतिविधियां रोज व रोज बढ़ती जा रही है, इस सोच के लोगों की जानीब से मदरसे और स्कूल जगह-जगह खोले जा रहे हैं जिससे हमारे देश की सालिमीयत को खतरा लायक हो गया है इसलिए हमें कट्टरता के खिलाफ आंदोलन को तेज़ करना होगा।
राष्ट्रीय उलैमा कौंसिल नेपाल के अध्यक्ष मौलाना गुलाम हुसैन मजहरी ने कहा कि भारत और नेपाल का रिश्ता रोटी और बेटी का है, इसी तरह हमारा रूहानी रिश्ता आला हज़रत से है, ये दोनों रिश्ते अटूट है और सदियों पुराने है इसको कोई भी ताकत नही टोड सकती है। कौंसिल के केंद्रीय महासचिव मौलाना नूर मुहम्मद खालिद मिस्बाही ने कहा कि आला हज़रत के मिशन को हम पूरे नेपाल देश में जन-जन तक फैलायेगें, हमारा मरकज़ दरगाह आला हज़रत है, इसकी गुलामी के पट्टे हमने अपने गले में डाल रखे है, बरेली शरीफ के उलमा का नेपाल हमेशा आना जाना रहा मगर अब इस रफ्तार को और बढायेंगे।
भारतीय उलैमा ने मुफ़्ती सलीम नूरी ने अपने सम्बोधन में कहा कि सूफ़ी विचार धारा ही एक ऐसी सोच व फिक्र का नाम है जो पूरी दुनिया के लोगों को एक साथ जोडे रख सकती है।
पीलीभीत के मौलाना नूर अहमद अज़हरी ने कहा कि आला हज़रत की तालिमात और उनकी किताबों ने पूरी दुनिया में इल्म की रोशनी फैलायी, उनकी लिखी को किताबों को पढना और उस पर अम्ल करने से समाज मे बुराईयों का खात्मा हो सकता है।
कार्यक्रम कि अध्यक्षता सूफ़ी हनीफ कादरी लियाकती ने की, और संचालन तंजीम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने किया, नेपाल से आये हुए मुख्य उलमा में मौलाना मुश्ताक बरकाती, मौलाना जहीरुद्दीन रज़वी, मौलाना सय्यद एहतशामुद्दीन, मुफ्ती केफूलवरा, मौलाना नसीरुद्दीन रज़वी, कारी आजमत अली, कारी इसराफील और किफायातुल्लाह खां मौजूद रहे. व्यवस्था में अनवर रजा कादरी, साहिल रजा, अदनान रज़ा, नाजिम बेग, आरिफ़ अंसारी, जावेद मुजिब, फैजी कुरैशी, गुलाम मुस्तफा नूरी आदि लोग थे।
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