फिराक गोरखपुरी की शख्सियत अद्भुत थी, वह उर्दू से विशेष प्यार करते थे : सरदार जसपाल सिंह


  • फिराक गोरखपुरी की जयंती पर कवि सम्मेलन संपन्न 

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)। गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी एवं प्रभासाक्षी न्यूज़ नेटवर्क के संयुक्त तत्वावधान में उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की जयंती के अवसर पर एक कवि सम्मेलन का आयोजन गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी के कार्यालय इलाहीबाग में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गुरुद्वारा जटाशंकर के अध्यक्ष सरदार जसपाल सिंह ने कहा कि रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की शख्सियत अद्भुत थी वह जितनी अच्छी उर्दू पर पकड़ रखते थे उतनी ही अच्छी अंग्रेजी भाषा पर उनकी उतनी ही अच्छी पकड़ थी और वह उर्दू जुबान से विशेष मोहब्बत और प्यार करते थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हाजी जलालुद्दीन कादरी ने कहा की रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी हिंदी और उर्दू दोनों मंच पर समान रूप से स्वीकार किए जाते थे। विशिष्ट अतिथि मोहम्मद आकिब और राज शेख ने भी इस अवसर पर संबोधित किया।एकता उपाध्याय के सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ।


कार्यक्रम का संचालन करते हुए जैसे ही मिन्नत गोरखपुरी ने पढ़ा -

सजा के अपने घर में गीता और कुरान रखते हैं,

जहां पर राम रखते हैं वही रहमान रखते हैं। 

लोगों ने खूब तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया।।

 कासिम रजा ने पढ़ा - 

जुनूने इश्क तारी हो गया है,

लहू आंखो से जारी हो गया है।।

सलीम मजहर गोरखपुरी ने पढ़ा - 

सुकून छीन के रंजो अलम बढ़ाने को,

तुम्हारी याद भी आती है दिल दुखाने को।।

एकता उपाध्याय ने पढ़ा - 

वीरों की शहादत और बलिदान की खातिर,

चलो मोहब्बत की क्यारियों में फिर केसर उगाते हैं।।

साथ ही साथ शाहीन शेख ने महिलाओं के ऊपर अपना काव्य पाठ किया और दरक्षा सिद्दीकी ने इश्क के हवाले से अपनी कविता सुनाई।


इस अवसर पर इज्जत गोरखपुरी, आशीष रुंगटा, मिनहाज सिद्दीकी, इमरान खान, सिराज सानू, सैय्यद इरशाद अहमद, आदि मौजूद रहे।

कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के संयोजक प्रणव तिवारी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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