'तालिबानी जुल्मों को देख कर, हिंद के प्रति जागा स्वाभिमान, दुनिया के सब मुल्कों में, सबसे अच्छा हिंदुस्तान'


  • स्व.श्रीमती दुर्गा पाठक की पंचम पुण्यतिथि पर शब्द सुमन अर्पित

✍️ विश्व दीप मिश्रा 

मनावर(धार)। वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षिका स्व. श्रीमती दुर्गा पाठक की पंचम पुण्यतिथि के अवसर पर साहित्यकार कवियों ने सोमवार को आभासी काव्य गोष्ठी के माध्यम से शब्द सुमन अर्पित कर उन्हें याद किया । कार्यक्रम की शुरुआत दीपिका व्यास ने सरस्वती वंदना से की । स्वागत भाषण में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महासचिव विश्वदीप मिश्रा ने कहा कि श्रीमती पाठक न केवल एक साहित्यकार अपितु एक जीवन को व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखने वाली थी इसलिए वे जीवन भर सरलता को धारण किए हुए रही । अपनी पंक्तियों में उन्होंने कहा कि आपकी लेखनी आपकी भाषा आपके जज़्बातों को,स्मृतियों में सहेजें रखेंगे हम आपकी यादों को । कवि हरिशंकर पाटीदार ,लिबोंदा हाटपिपल्या ने मां विषय पर रचना पाठ कर सबको मन मोह लिया । मनावर के शायर सतीश कुमार सोलंकी ने जिंदगी की आपाधापी पर रचना पाठ करते हुए कहा कि सुलगते इस जहान में धुआँ धुआँ ज़िंदगी,ले के जा रही मुझे कहाँ कहाँ ज़िंदगी । इंदौर के कवि विनोद कुमार सोनगीर ने बारिश की खिचातान पर सुंदर गीत प्रस्तुत किया । माधवी रावल मनावर ने व्यंग्य रचना पढ़ते हुए कहा कि जख्म सीता के हरे से रह गए,लोग बस रावण जलाने में रह गए । डॉ मंगलेश जायसवाल ने तिरंगे की बैचेनी पर काव्यपाठ करते हुए कहा कि बैचेन है तिरंगा घुट घुट के घुटन में जिए जा रहा है,लहराया कम ,ज्यादा कफन के रूप में काम आ रहा है । बृजबाला गुप्ता इंदौर ने मां पर गीत प्रस्तुत करते हुए कहा कि सदा रहे मां तू जीवन में हमसाया बनकर । डॉ जगदीश चौहान मनावर ने दुनिया की वर्तमान स्थिति पर रचना पाठ करते हुए कहा कि कथा इसकी यूँ ही बढ़ती जा रही है,दुनिया पारस्परिक असंवादों से घिरती जा रही है । वरिष्ठ साहित्यकार अनिल ओझा इंदौर ने मित्रता की महत्ता पर सुंदर गीत पढ़ा । इंदौर के मोहन जोशी 'पीयूष' ने काव्य गोष्ठी में कविता 'अन्नदाता के सपने' 'पेड़ के दोहे 'और वर्तमान तालिबान संदर्भ में रचना पाठ करते हुए कहा कि 'तालिबानी ज़ुल्मों को देखकर, जागा हिंद के प्रति स्वाभिमान , दुनिया के सब मुल्कों में, सबसे अच्छा हिन्दुस्तान । मुंबई की साहित्यकार लता जोशी ने मुस्कुराहट पर केन्द्रित रचना पाठ करते हुए कहा कि जनमानस को यह शुभ संदेश देने आई हूं, मुस्कुराहटों से भरी है झोली उन्हें बांटने आई हूं । खरगोन के वीर रस के कवि वीरेंद्र दसौंधी वीर ने ओजमयी रचना पाठ कर सबमें जोश भर दिया ‌। कार्यक्रम संचालन राम शर्मा परिंदा ने तथा आभार राजा पाठक ने जताया । कार्यक्रम के तकनीकी सहायक रघुवीर सोलंकी बड़वानी थे । कार्यक्रम में मंगलेश सोनी, पूजा गोले, हंसा पाटीदार, रामगोपाल निर्मलकर , मुकेश मेहता आदि उपस्थित थे ।

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