नीयत साफ हो और कुछ करने का ईमानदार जज्बा हो तो मंजिल आसान है...
✍️खान आशु
भोपाल। जमीन और आसमान के बीच झूलती एक जिंदगी को सही सलामत वापस लाना, एक अलग तरह का टास्क था। किसी का दबाव नहीं था, न किया जाता तो कोई सवाल भी नहीं किया जाता, लेकिन मन में विचार आया कि चलो कुछ करके देखते हैं। साफ नीयत और इससे आने वाले बेहतर नतीजों की उम्मीद के साथ मैंने ऊंचाई की तरफ बढ़ना शुरू किया और इसमें कामयाबी मिली।
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कई सैकड़ा फीट की ऊंचाई वाले मोबाइल टॉवर पर जा चढ़े एक युवक को सकुशल वापस लाने वाले थाना प्रभारी जहीर खान अपने नए अचीवमेंट को इसी तरह बयान करते हैं। बुधवार को राजधानी के निजी अस्पताल राजा भोज हॉस्पिटल में हुए सम्मान समारोह के दौरान उन्होंने उस रोमांचित करने वाली यात्रा से सबको रूबरू कराया। उन्होंने कहा कि 15 बरस के सेवाकाल में कई तरह के चुनौतीभरे काम करने का मौका मिला। लेकिन ये अवसर कुछ अलग तरह का था। इसमें जान का जोखिम भी था और असफल होने पर विभाग के कई सवालों से जूझने की रिस्क भी थी। जहीर खान ने कहा कि किसी भी काम की सफलता या असफलता का फैसला बाद में होता है, सबसे पहले तो काम करने के उठाए गए पहले कदम की बात होती है।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ट पत्रकार डॉ मेहताब आलम को उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक तहजीब के लिए सम्मानित किया गया। भोपाल के रस्म ओ रिवाज और यहां के इतिहास को दर्शाती इस पुस्तक में डॉ मेहताब ने भोपाल के भूतकाल से लेकर मौजूदा हालात तक का जिक्र किया है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि लिखना आसान हो सकता है, लेकिन क्या और कब लिखना है, इसका चयन बहुत मुश्किल है।
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इस मौके पर अस्पताल प्रबंधन के डॉ जिया उल हसन, डॉ कमाल खान, डॉ शाकिर खान, डॉ शाहरुख खान आदि ने थाना प्रभारी जहीर खान और डॉ मेहताब आलम को पुष्प मालाओं से सम्मानित किया और उन्हें प्रतीक चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम में प्रदेश हज कमेटी और मसाजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात, काजी सैयद अनस अली नदवी, मुजाहिद अली खान, जावेद बेग, शायान खान आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन जफर आलम खान ने किया।
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