पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा - मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूँ, यह एक परिकल्पना मात्र


  • 'विचारधारा पर मतभेद भले हों, लेकिन मनभेद नहीं'

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह ने उनके बीजेपी में जाने को लेकर मीडिया में चल रही अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए मनगढ़ंत बताया है। उन्होंने इन आधारहीन बातों को विराम देते हुए स्पष्ट किया कि मुझे अपने पिता स्व. अर्जुनसिंह जी से सदभाव के साथ सबको साथ लेकर चलने की सीख विरासत में मिली है। वे हमेशा अपने आपको कांग्रेस का सिपाही कहते थे। उनके विचारों के विपरीत जाकर मैं आलोचना का भागीदार नहीं बनना चाहता। मैं उन्हीं की परम्परा का निर्वहन करता हूँ। मैं आत्मा से कांग्रेसी था, कांग्रेसी हूँ और कांग्रेसी रहूँगा।  जो लोग ऐसा सोच रहे हैं कि मैं बीजेपी में जा सकता हूँ, उन सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वे इस कल्पनाशील विचार को त्याग दें। मेरी प्रतिबद्धता कांग्रेस पार्टी के साथ है। 

अजयसिंह ने स्व. अर्जुनसिंह के राजनीतिक कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा प्रतिपक्ष का सम्मान किया। प्रतिपक्ष के सुझावों को वे हमेशा ध्यान से सुनते थे और आलोचनाओं से कभी विचलित नही होते थे। लोकतंत्र की स्वस्थ परम्पराओं का उन्होंने हमेशा पालन किया। भले ही विचारधाराएँ अलग अलग हों लेकिन उन्होंने प्रदेश के विकास में इसे कभी आड़े आने नहीं दिया। यही कारण है कि प्रदेश में भाजपा सरकार के समय केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने मध्यप्रदेश को जो दिया वह हमेशा याद किया जाएगा। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में उनसे बहुत सीखा है। 

सिंह ने कहा कि मेरे मंत्री रहते हुए बीजेपी के बहुत से विधायक मुझसे क्षेत्र के काम से मिलते रहते थे और मैं सहर्ष उनकी समस्याओं को हल करता था। उनमें कई अभी वर्तमान में मंत्री हैं। इसी तरह मैं भी अपने क्षेत्र की समस्याओं और जनता के काम लेकर भाजपा सरकार के मंत्रियों से मिलता रहता हूँ। कई बार एक दूसरे से सौजन्य भेंट होती रहती है। प्रतिपक्ष दुश्मन तो नहीं होता। लोकतंत्र में वैमनस्य का कोई स्थान नहीं है। इस सौजन्यता का यह अर्थ कतई नहीं लगाना चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूँ। यह सिर्फ एक परिकल्पना मात्र है। 

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