शब्दों की कलात्मकता : शब्दों से निकली कला, बयां कर रही अरेबिक कैलीग्राफी के विभिन्न रूप


  • भोपाल की रूही दुनियाभर में लगा चुकीं प्रदर्शनी की अर्द्ध शतक

✍️खान आशु 

भोपाल। वैसे तो शब्द बहुत कुछ कहते और समझाते, सिखाते हैं, लेकिन अगर शब्दों को कला के रंगों में डुबो दिया जाए तो कैनवास पर उतरी आकृतियां कई रूप साकार कर जाती हैं। 

राजधानी भोपाल के गलियों में पली, बढ़ीं और होश सम्हालने वालीं रूही खान की कलाकृतियां इन दिनों सऊदी अरब में अपनी खास छाप छोड़ रही हैं। दम्माम की सऊदी अरेबियन सोसायटी फॉर कल्चर एंड आर्ट्स संस्था द्वारा रूही की ताजा पेंटिग्स की एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया है। कार्यक्रम को गरिमा देने के लिए सऊदी अरब के वरिष्ठ कलाकार शाया अल्दोसारी और SASCA के निदेशक यूसुफ अल हार्बी मौजूद थे। सऊदी अरब के संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था SASCA के लिए ये पहला अवसर था, जब किसी भारतीय कलाकार की एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।


सुलेख को बनाया माध्यम

चित्रकार रूही खान बताती हैं कि यह उनकी 45वीं प्रदर्शनी है। उन्होंने 'हुरुफियत श्रृंखला' (सुलेख श्रृंखला) नामक पेंटिंग की श्रृंखला सहित 31 पेंटिंग प्रदर्शित की हैं। रूही के काम में मूल रूप से अरबी सुलेख शामिल हैं, जो ज्यादातर अरबी पैटर्न या इस्लामी ज्यामितीय पैटर्न के स्पर्श के साथ अमूर्त रूप में हैं। वे ज्यादातर समकालीन कला बनाती हैं।

दुनिया घूम चुकीं रूही

12वीं कक्षा में थीं, तबसे रूही का रुझान चित्रकारी की तरफ बढ़ा। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने पेंटिंग में डिप्लोमा हासिल किया। उसके बाद से दुनिया को अपनी कला के रंगों से रु बा रु कराने वे लगातार भ्रमण कर रही हैं। इस यात्रा के दौरान वे भारत में करीब दर्जन भर एग्जीबिशन कर चुकी हैं। जबकि दुबई में वे 13 बार अपना हुनर लोगों के सामने पेश कर चुकी हैं। इसके अलावा 20 बार सऊदी अरब और 1=1 बार कतर एवं पाकिस्तान के कला पसंद लोगों के बीच पहुंच चुकी हैं।


शब्दों में बसा कला संसार

रूही की पेंटिंग की मूल धारणा अरबी सुलेख के इर्द गिर्द होती है। इन्हीं शब्दों से वे महिलाओं के विभिन्न रूपों को उकेरती हैं। कई चित्रों में उनका रुख मूक जानवरों की तरफ भी बढ़ता दिखाई देता है। रूही कहती हैं कि अच्छा लगता है, जब किसी कला को उसके चाहने वाले, कद्रदान और स्वच्छ प्रतिक्रिया देने वाले लोग निहारते हैं, उसे पसंद करते हैं और कला को सराहते हैं। गोरतलब है कि उनकी कला को प्रिंस फैसल बिन अब्दुल अजीज बिन अय्याफ, सऊदी अरब में भारतीय राजदूत डॉ ओसाफ सैयद आदि भी निहार चुके हैं, रूही की कलाकृतियों की प्रशंसा कर चुके हैं।

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