सुरक्षा में बदनीयत की सेंध : महीनों मेहनत, वेतन से पहले हो जाती है चोरी, हक के लिए भटक रहे गरीब
भोपाल। राजधानी में सुरक्षा एजेंसी संचालन के नाम पर गरीब मजदूरों और जरूरतमंद लोगों से धोखा किया जा रहा है। पहले महीनों बिना वेतन दिए काम करवाया जाता है। वेतन के लिए दबाव बनाए जाने पर चोरी की झूठी कहानी गढ़कर कर्मचारी से ही पैसों की मांग कर दी जाती है। महीनों मेहनत के बाद ठगे गए ये कर्मचारी अब पुलिस और श्रम विभाग की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
मामला राजधानी भोपाल में संचालित एक सुरक्षा एजेंसी शीश सिक्योरिटी सर्विस से जुड़ा है। शहर में कई स्थानों पर सेवाएं दे रही इस एजेंसी के संचालकों से कई गरीब लोग ठगा चुके हैं। बताया जाता है कि एजेंसी संचालक नियमित वेतन देने की बजाए दो से तीन महीने तक वेतन जारी नहीं करते हैं। इस बीच वेतन के लिए दबाव बनाए जाने पर अचानक किसी रात चोरी की कहानी गढ़ दी जाती और इसको लेकर कर्मचारी को मानसिक प्रताड़ित किया जाता है। इन्हें पुलिस में देने की धमकी देकर चोरी गए माल(काल्पनिक कहानी के आधार पर तय) की राशि अदा करने के लिए कहा जाता है। कई मामले ऐसे भी हुए हैं कि बिना वेतन दिए ही कर्मचारी को सेवाओं से अलग कर दिया गया है।
शिकायत न करने का अजीब तर्क
चोरी की घटना की पुलिस शिकायत न करने के पीछे एजेंसी संचालकों का तर्क है कि इससे हमारी संस्था की बदनामी होती है, जिससे अगले प्रोजेक्ट मिलने में दिक्कत होती है। गोरतलब है की शीश सिक्योरिटी सर्विस को जल्दी ही गुजरात की एक बड़ी कंपनी से टेंडर मिलने वाला है। इसका कार्यक्षेत्र इंदौर बताया जा रहा है।
रजिस्ट्रेशन नंबर पर संशय
शीश सिक्योरिटी सर्विस द्वारा अपने गार्ड्स को जो परिचय पत्र जारी किए जा रहे हैं, उस पर रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित है, वह रतलाम से आवंटित है। जबकि एजेंसी भोपाल में काम कर रही है।
वेतन में कमीशन, यूनिफॉर्म में भी धांधली
एजेंसी से पीड़ित कर्मचारियों का आरोप है कि शीश सिक्योरिटी सर्विस के संचालकों द्वारा कार्य प्रदाय करने वाली संस्था या व्यक्ति से सुरक्षा गार्ड के वेतन के रूप में जो राशि वसूल की जा रही है, उसका बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में रखा जा रहा है। साथ ही यूनिफॉर्म आदि के नाम पर भी बड़ी राशि गार्ड्स से वसूल की जा रही है। सुरक्षा एजेंसी कर्मचारियों से पीएफ और जीपीएफ के नाम पर वेतन से काट रही राशि में भी गड़बड़ कर रही है।
बकाया वसूली के लिए सुंदरता का सहारा
एजेंसी संचालक उवैस और परवेज खान द्वारा कई सरकारी दफ्तरों में गार्ड्स मुहैया कराए गए हैं। इन विभागों में रुके पेमेंट की वसूली के लिए इनका दफ्तर पहुंचने का समय अधिकांश देर शाम का होता है। खाली दफ्तर में अधिकारी से मिलने के लिए पहुंचने के दौरान इनके साथ मॉडल की तरह अर्द्ध वस्त्र से खुशबू फैलाती एक महिला भी साथ होती है।
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