जिसने बचाई थी 8 जानें, वही चला जान देने, आखिर क्यों?
भोपाल। कुछ समय पहले खटलापुरा तालाब में एक नाव हादसे के दौरान करीब 8 लोगों की जान बचाने वाले नितिन बॉथम ने गुरुवार को जान देने की कोशिश की। आत्महत्या करने का कारण रोजगार खत्म होने और परिवार का पालन पोषण मुश्किल हो जाना बताया गया गया है।
बरसों से मछली का व्यवसाय कर अपना और परिवार का पालन पोषण कर रहे दर्जनों मछुआरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। नगर निगम द्वारा आरोपों के घेरे में लेकर इन मछुआरों का व्यवसाय चौपट करने की तैयारी कर ली गई है। अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे इन मछुआरों में से नितिन बाथम नामक युवक ने गुरुवार को जान देने की भी कोशिश की। जिन्हें मौके पर मौजूद पुलिस और नगर निगम कर्मचारियों ने मुश्किल से रोका। पीड़ित मछुआरों में शामिल आनंद ने बताया कि नगर निगम द्वारा छोटे तालाब से मछली पकड़ने के लिए दस साल का ठेका दिया जाता है। एक बड़े ठेकेदार को मिलने वाले इस ठेके से छोटे मछुआरे अपने रोजगार का साधन जुटाते हैं। लेकिन नगर निगम द्वारा अब जो प्रक्रिया शुरू की गई है उसमें छोटे कामगारों को काम मिलना मुश्किल नजर आ रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में मछुआरों ने जमा होकर नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी भी की। साथ ही चेतावनी दी है कि मामले का समाधान जल्दी नहीं किया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
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