शिक्षा का हो गया व्यापारीकरण, छटपटा रहा देश का भविष्य
- शिक्षा नीति-2020 के खिलाफ छात्र संगठन AIDSO ने किया राज्य स्तरीय कन्वेंशन
भोपाल। भगतसिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, महात्मा फुले जैसे तमाम महान मनीषी और क्रांतिकारियों का एक ही सपना था कि आजादी के बाद कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित नहीं होगा। लेकिन आजादी के बाद से ही शिक्षा संकुचन व शिक्षा को पार्टी विशेष की विचारधारा के आधार पर ढालने का प्रयास किया गया। आजादी के बाद जो भी सरकारें बनी उन्होंने धीरे-धीरे शिक्षा को सेवा क्षेत्र से हटाकर व्यापार का क्षेत्र बनाने की कोशिश की और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के बाद इसे GATS के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया।1991 में बनी नई आर्थिक नीति के बाद बड़ी-बड़ी कंपनियों को अन्य व्यवसाय क्षेत्रों के साथ साथ शिक्षा क्षेत्र में भी व्यापार करने की छूट दे दी गई। तब से ही हम देख रहे हैं कि शिक्षा ज्ञान अर्जन व चरित्र निर्माण का माध्यम ना होकर निवेश कर मुनाफा कमाने का क्षेत्र बन गई।
केंद्र सरकार द्वारा लागू नई शिक्षा नीति-2020 को रद्द करने की मांग पर व मध्यप्रदेश सरकार द्वारा क्लोजर-मर्जर, सीएम राईज के नाम पर सरकारी स्कूलों को बंद करने, शिक्षा के निजीकरण-व्यापारीकरण के खिलाफ छात्र संगठन ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (AIDSO) की राज्य कमेटी द्वारा गांधी भवन में राज्य स्तरीय कन्वेंशन का आयोजन किया।
कन्वेंशन की शुरुआत में AIDSO के राष्ट्रीय सचिव मंडल सदस्य अजीतसिंह ने वक्तव्य दिया इसके पश्चात शिक्षा समस्याओ पर एक प्रस्ताव भी रखा गया जिसका वाचन राज्य सचिव मंडल सदस्य देवेंद्र बिजोरे ने किया| प्रस्ताव पर विभिन्न जिलों से आये छात्र प्रतिनिधियों ने बात रखी| कन्वेंशन को सम्बोधित करते हुए AIDSO के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाविक राजा ने कहा कि शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों के चलते शिक्षा में आज बड़े बड़े निजी घरानों ने अपना व्यापार जमा लिया है। कन्वेंशन की अध्यक्षता कर रहे AIDSO के प्रदेश अध्यक्ष मुदित भटनागर ने कहा कि शिक्षा मानव सभ्यता की धरोहर है, इसको बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के कारण दोहरी शिक्षा व्यवस्था हो गई है। कन्वेंशन को AIDSO के राज्य सचिव मंडल सदस्य नारायण चंदेल ने भी सम्बोधित किया। संचालन AIDSO के प्रदेश सचिव सचिन जैन ने किया।
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