'मिला ताज और जन्नत की जमीन मुझे, साथ मेरे सब की दुआओं का असर गया'
- महर्षि वाल्मीकि जयंती की पूर्व संध्या पर काव्य-संगीत निशा सम्पन्न
मनावर, धार। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मनावर का वाल्मीकि जयंती की पूर्व संध्या पर काव्य-संगीत निशा आयोजन यशस्वी कला मंदिर में पुलिस विभाग के एसआई नीरज कोचले और एसआई जीतेन्द्र बघेल के मुख्य आतिथ्य और संजय वर्मा दृष्टि की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । आयोजन में अतिथियों का पुष्प हार से स्वागत कर स्वागत भाषण परिषद के तहसील अध्यक्ष राम शर्मा परिंदा ने दिया ।
आयोजन की शुरुआत कवियित्री दीपिका व्यास ने सरस्वती वंदना से की । काव्य पाठ में वरिष्ठ साहित्यकार स्वप्निल शर्मा ने निमाड़ की विलुप्त होती हुई शोभा पर दुख प्रकट करते हुए अपनी कविता में कहा कि निमाड़ में अब नीम की आड़ नहीं । कहानीकार गोविंद सेन ने चांद पर दोहे सुनाते हुए कहा कि आसमान में देखिए चंदा का है राज, पहनाया उसको गया चांदी वाला ताज । वरिष्ठ कवि बसंत जख्मी ने उतारूं में हनुमत तेरी आरती सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । युवा ओज कवि कुलदीप पंड्या कश्मीर हिंसा पर कहा कि डाल कर हाथ हम सिंहों के जबड़े फाड़ देते हैं,हमारी शालीनता को कायरता न समझ हम घर में घुसकर मार देते हैं । युवा कवि मंगलेश सोनी घनाक्षरी छंद में भारत की महिमा का गुणगान किया । अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार संजय वर्मा दृष्टि ने चांद और रात का सुंदर बखान करते हुए कहा कि आकाश की आंखों में है रातों का सूरमा । कवि राम शर्मा परिंदा ने दोस्ती की महत्ता बताते हुए कहा कि चांद की चांदनी जैसी है और सूरज की लाली दोस्ती । व्यंग्यकार विश्वदीप मिश्रा ने अपनी कविता में कहा कि क्या जलाएगी जलन जमाने की मुझे,जब गया प्यार में भिगकर तरबतर गया,मिला ताज और जन्नत की जमीन मुझे,साथ मेरे सब की दुआओं का असर गया । सुगम संगीत में संदीप जाजमे , गणेश शिंदे , राजा पाठक , मुकेश मेहता , सुखदेव राठौर , कैलाश मंडलोई और अतिथिद्वय नीरज कोचले व जीतेन्द्र बघेल ने गीत पेश कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया । कार्यक्रम का संचालन विश्वदीप मिश्रा और आभार डॉ कविता शर्मा ने जताया । कार्यक्रम में शिवलाल मालवीय, हरिओम पाटीदार, कैलाश शर्मा, ज्योति मेहता, माधुरी पाटीदार, आशा जोशी,कंदर्प परिहार आदि उपस्थित थे ।
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