क्योंकि सर्दी बहुत है : बदला पशु-पक्षियों के खाने का मीनू, गौमाता को गुड़ और चिड़िया को दे रहे बाजरा

गोमाता को गुड़ खिलाते हुए सामाजिक
कार्यकर्ता आर्किटेक्ट एसएम हुसैन 

भोपाल(ब्यूरो) । 

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे। 

जो परदेस में है वो किससे रजाई मांगे।। 

मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी का सर्दियों के परिप्रेक्ष्य में कहा गया ये शेर इन दिनों राजधानी में सामयिक है। इंसानी जरूरतों को ध्यान में रखकर कई कदम उठाए जा सकते हैं और उठाए जा रहे हैं, लेकिन बेजुबान पशु पक्षियों की आवश्यकता को समझने और उनके लिए जरूरी इंतजाम करने वाले कम ही लोग हैं। ऐसे में शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता आर्किटेक्ट एसएम हुसैन ने अपनी दैनिक दिनचर्या में की जाने वाली सेवा के मीनू में कुछ बदलाव किए हैं।

हुसैन बताते हैं कि सर्दी हर जानदार को प्रभावित कर रही है। ऐसे में उनके लिए सोचा जाना चाहिए और उन्हें इस मुश्किल हालात से निजात दिलाने के प्रयास भी होना चाहिए। इसी धारणा के साथ उन्होंने गरीब लोगों के लिए, जिनके सिरों पर छत नहीं है या जिनके पास सर्दी से बचने के साधनों की कमी है, गर्म कंबल का वितरण शुरू किया है। उन्होंने इसके साथ ही लोगों को अंडे की ट्रे भी बांटी, ताकि सर्द मौसम में उनमें गर्मी का संचार होता रहे।


गौमाता को गुड़

हुसैन ने अपनी दिनचर्या में पशु पक्षियों की सेवा को शामिल कर रखा है। उनके दिन की शुरुआत हो पक्षियों, मछलियों और पशुओं को दाना पानी देने से ही होती है। सर्दियों के मौसम को देखते हुए उन्होंने इन बेजुबानों को दिए जाने वाले खाने के मीनू में बदलाव किया है। जहां आमदिनों में गाय को साधारण चारा और खली परोसते थे, वहीं अब गौमाता के लिए अच्छी गुणवत्ता का गुड़ वे अपने हाथों से खिला रहे हैं। इसी तरह चिड़ियों, कबूतर आदि पक्षियों को दिए जाने वाले दलिया, पिसा चावल आदि की जगह बाजरा ने ले ली है। सर्दियों के मौसम में भी सड़कों पर रात गुजारने वाले स्ट्रीट डॉग को देने के लिए उन्होंने दूध ब्रेड के साथ अंडे को शामिल कर लिया है। मछलियों को दिए जाने वाले आहार में भी उन्होंने सफेदी रहित अंडे की पिलक देना शुरू की है, जो इनके लिए गर्मी देने का साधन बन रही है।

करके देखो, अच्छा लगता है...

आर्किटेक्ट हुसैन अपने काम के माहिर होने के साथ पुरातत्वविद, पर्यावरण संरक्षक, सामाजिक गतिविधियों में अगली पंक्ति में रहने वाले व्यक्ति हैं। वे एक संस्था के माध्यम से गरीब कन्याओं के विवाह की व्यवस्था करने वाले और शहर में मुस्लिम समाज में सामूहिक विवाह की व्यवस्था शुरू करने वाले शुरुआती लोगों में शामिल हैं। हुसैन कहते हैं कि दुनिया में हर इंसान अपने काम, कारोबार, नौकरी में व्यस्त रहता है। लेकिन इससे कुछ समय निकालकर परोपकार या सेवा के लिए काम किया जाए तो जीवन के मायने बदल जाते हैं। वे कहते हैं इंसानों और बेजुबान पशु पक्षियों की सेवा मन को सुकून देती है। इसे हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए, करेंगे तो खुद को और समाज को अच्छा लगेगा।


Comments

Popular posts from this blog

बुरहानपुर में बवाल : दरगाह का ताला तोड़कर अंदर घुसे हिंदू संगठन के कार्यकर्ता, हनुमान जी की प्रतिमा होने का दावा, चोला चढ़ा कर किया हनुमान चालीसा का पाठ

धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर मामले में नया मोड़ : कमिश्नर और कलेक्टर को हाईकोर्ट की अवमानना का नोटिस

नप गए SDM, तीन महीने की जेल और 25000 जुर्माना:आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला