24 घंटे में ढह गया हिजाब, गृहमंत्री ने नकारा, शिक्षा मंत्री का भी यू टर्न


✍️राजनीतिक संवाददाता 

भोपाल। एक दिन पहले दिए गए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के हिजाब वाले बयान पर मची हलचल ने एक ही दिन में फैसला बदलने के हालात बना दिए हैं। पहले गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने इस बयान पर प्रतिक्रिया दी और ऐसे किसी फैसले से इंकार किया। इसके बाद शिक्षा मंत्री इंदर सिंह ने भी अपने बयान से यू टर्न लेते हुए अपने बयान जारी किया है कि उनका ऐसा इरादा नहीं था, जैसा उनका बयान मीडिया में दिखाया गया है।

गृह मंत्री व सरकार के प्रवक्ता डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में हिज़ाब पर प्रतिबंध करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नही है। मीडिया से चर्चा करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हिज़ाब को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि हिज़ाब पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव ही सरकार के पास विचाराधीन नही है।जब प्रस्ताव ही नहीं है तो हिज़ाब पर प्रतिबंध की बात ही बेमानी हो जाती है।

गृह मंत्री डॉ मिश्रा ने कहा कि हिज़ाब का मामला कर्नाटक का है वहां भी यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है। कोर्ट के फैसले से पहले ही काँग्रेस इस मामले को तूल देकर फिर एक बार साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कानून का राज है और यहां की शांति भंग करने की किसी को इज़ाज़त नही है जो भी यह प्रयास करेगा उसे उसकी सजा भुगतनी होगी।

शिक्षा मंत्री ने किया खंडन


एक दिन पहले दिए गए बयान पर मचे बवाल के बाद शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बुधवार को खंडन जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत व्याख्या कर पेश कर दिया गया है। जिसकी वजह से ये स्थिति बनी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने का कोई विचार नहीं है।

यह था मामला

कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के बीच मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को कहा था कि हिजाब ड्रेस का हिस्सा नहीं है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के स्कूलों में 'ड्रेस कोड' लागू किया जाएगा, ताकि सभी स्कूली विद्यार्थियों में समानता की भावना सुनिश्चित की जा सके।

होने लगा था चौतरफा विरोध

शिक्षा मंत्री के प्रदेश में ड्रेस कोड लागू करने के बयान के बाद राजधानी में खलबली मच गई थी। उनके इस बयान को लेकर विधायक आरिफ मसूद ने सख्त ऐतराज जताया। उन्होंने इस फैसले को लेकर भाजपा पर तीखा प्रहार किया और इसके खिलाफ विरोध आंदोलन करने की चेतावनी भी दे डाली थी। इधर शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी, मुफ्ती मोहम्मद अबुल कलाम कासमी, मुफ्ती सैयद बाबर आदि ने भी इस फैसले को गैर जरूरी और किसी के मजहब के मामले में दखल देने वाला बताया था।

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