सियासत या मुहब्बत : शिव बोले, मप्र में नहीं चलेगी नफरत


✍️खान आशु

भोपाल। पंद्रह बरस का प्रदेश का साथ और उससे कई गुना ज्यादा लोगों से उनकी मुहब्बत, स्नेह, अपनानपन। सबका साथ, सबका विकास का असल हक अदा करने की महारत शिवराज के पास है। हक निभाई की इंतेहा ये भी है कि मुहब्बत का जुनून एकतरफा भी नहीं कहा जा सकता। जिस भाजपा को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के सबसे बड़े धड़े मुस्लिम समाज की हमेशा से विपरीत सोच रही है, उसी कौम ने धीमे कदम बढ़ाते हुए करीब 23 प्रतिशत वोट भाजपा को दे दिया है। नतीजा साफ है, पार्टी का, पार्टी के लोगों का नजरिया इस समुदाय की तरफ बदला और बहुत सारे सॉफ्ट कॉर्नर इनके लिए बनते गए।

कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब मामले में शिक्षा मंत्री की जल्दबाजी रही कि उन्होंने बिना पार्टी से सलाह मशविरा किए मप्र के स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने का ऐलान कर दिया। प्रदेश के इतिहास में संभवतः पहला मौका होगा, जब चौबीस घंटों के भीतर किसी फैसले को वापस लेने की नौबत आ गई। मंत्री को खुद अपने बयान का खण्डन करना पड़ गया। दरअसल इस हालात के लिए भी अहम भूमिका मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही मानी जा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म और इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर घनघनाई इस खबर को तत्काल मुख्यमंत्री ने संज्ञान में लिया और गृहमंत्री से गुरुवार सुबह की प्रेस ब्रीफिंग में शिक्षा मंत्री के बयान पर पलटवार करवा दिया। नौबत यहां तक भी पहुंची कि शिक्षा मंत्री को अपने बयान का खण्डन भी करना पड़ गया। इसके बाद कैबिनेट मीटिंग के बाद सीएम ने खुद भी इस तरह की बयानबाजी पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने आगे से किसी भी मंत्री को इस तरह बिना किसी ठोस निर्णय के किसी तरह का बयान देने से सख्त मनाही कर दी है।

शिवराज सिंह चौहान अपने पहले कार्यकाल से लेकर चौथे चरण में पहुंचने तक इसी बात के लिए प्रदेश के लोगों की पसंद हैं कि उन्होंने प्रदेश के हर व्यक्ति को अपने परिवार का हिस्सा करार दे रखा है। हिजाब मामले से प्रदेश में मचने वाले बवाल की दूर अंदेशी अपनाते हुए उन्होंने तात्कालिक फैसला लेकर प्रदेश भर में और खासकर अल्पसंख्यक समुदाय पर गहरी छाप छोड़ दी है। उनका यह फैसला वर्तमान में जो असर डालेगा, वह निश्चित तौर पर सराहनीय है। साथ ही अगले चुनाव में भी बड़ा फायदा पहुंचाएगी।

पहले से लेकर चौथे कार्यकाल तक पहुंचने तक शिवराज के कदमों में कई बाधाएं भी आती रहीं हैं। बाधाओं में विपक्षियों से ज्यादा अपने ही लोगों की आवाज़ें ज्यादा थीं। हर बार कोशिश बेदखली की हुई, लेकिन शिवराज के अपने फैलाव और आम लोगों तक पहुंच ने ही उन्हें जीवनदान दिया है। प्रदेश में चुनावी चेहरे के रूप में किसी नए नाम का विचार भी भाजपा के लिए मुश्किल भरा हो गया है।

हिजाब को लेकर देशभर में बनाए जा रहे माहौल और इससे होने वाले सियासी फायदों के गणित को शिवराज ने झुठलाया है। इसको भी उन चुनावों में गिनाया जाना आसान होगा, जिन प्रदेशों के फायदे के लिए इस मुद्दे को हवा दी गई थी। शिव की साफ सुथरी छवि का एक बेहतर उपयोग इन प्रदेशों में किया जा सकता है।

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