मजहब की खातिर : कट्टरपंथियों ने बताया इस्लाम को हिंसक, आईएएस नियाज़ दिखायेंगे सही चेहरा


भोपाल।
दुनिया में इस्लाम तलवार के दम पर नहीं मुहब्बत के सहारे फैला है। इसकी बेहतर तालीम और अच्छे आचरण ने ही इसको दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी का दर्जा दिलवाया। लेकिन कुछ मतलब ताकतों ने इस्लाम और इसकी दी हुई सीख की गलत व्याख्या की और बदनामी की उस कगार पर खड़ा कर दिया कि इस धर्म को दुनिया का सबसे ज्यादा हिंसक मजहब करार दे दिया गया है। बहुत छोटे समय में हुई इस बड़ी बदनामी को मिटाने के लिए कुछ प्रयास जरूरी हैं। इसी धारणा के साथ मप्र के आईएएस अधिकारी नियाज़ अहमद खान ने एक रिसर्च शुरू किया है। दो साल की पन्ने पलटाई के बाद वे इन सारे तथ्यों को एक किताब की शक्ल में अंग्रेजी में प्रकाशित करेंगे। 

तीखी वाणी और तेज तर्रार स्वभाव के अधिकारी नियाज़ अहमद खान इससे पहले भी कई नॉवेल लिख चुके हैं। अपनी सेवाकाल और समाज में इस्लाम के लिए फैलती वैमनस्यता को लेकर वे व्यथित भी हैं और चिंतित भी। इसी फिक्र को लेकर उन्होंने इस्लाम की असली सीख और उसका असल चेहरा सामने लाने के लिए एक शोध शुरू किया है। वे इस्लाम की पवित्र किताब कुरआन और पैगंबर हजरत मोहम्मद की दी हुई बातों का गहन अध्ययन कर रहे हैं। 

कुछ संगठनों ने किया बदनाम

आईएएस अधिकारी नियाज खान का कहना है कि इस्लाम कई संगठनों की गतिविधियों के कारण बदनाम है। वे दो साल में के आधार पर किताब लिखकर इस्लाम धर्म की पुरानी छवि लौटाएंगे। खान का कहना है कि इस्लाम धर्म की छवि 25-30 साल में सीरिया, पाकिस्तान, कश्मीर और अन्य देशों में सक्रिय संगठनों की वजह से बदनाम हुई है। उन्होंने बताया कि इस्लाम धर्म की छवि इसके पहले कभी खराब नहीं हुई और मोहम्मद साहब ने हमेशा प्यार का संदेश दिया। उन्होंने यह कहा कि अगर आपका कोई पड़ोसी भूखा है और आपके पास खाना है तो उसे भूखा नहीं रहने दे सकते। फिर चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों नहीं हो। इस्लाम धर्म 57 देशों में फैला तो केवल तलवार से नहीं बल्कि प्यार से भी उसका फैलाव हुआ है।

कर रहे गहन अध्ययन

नियाज खान ने कहा कि उन्होंने मोहम्मद साहब संबंधी साहित्य का गहराई से अध्ययन शुरू कर दिया है। दो साल में उनके रिसर्च के पूरा होने की उम्मीद है और उससे अंग्रेजी में किताब लिखेंगे। खान अभी तक छह पुस्तकें लिख चुके हैं। उनका कहना है कि अब वे अपने धर्म के लिए कुछ करना चाहते हैं और उसकी छवि जो जिस ढंग से बदनाम किया गया, उसे सही तौर पर रखने के लिए किताब लिख रहे हैं। यह पुस्तक अंग्रेजी में होगी। उल्लेखनीय है कि नियाज खान ने इस्लाम धर्म की छवि निखारने के लिए रिसर्च की जानकारी ट्वीट कर सार्वजनिक रूप से दी है। 

सख्त रवैया और विवाद

अपने सख्त रवैया के चलते नियाज़ अक्सर विवादों का हिस्सा बनते रहे हैं। ग्वालियर चंबल क्षेत्र में नौकरी करते हुए उन्हें अपने इसी रवैए के चलते करीब 11 तबादलों का सामना करना पड़ा था। मप्र वक्फ बोर्ड में सीईओ के तौर पर पदस्थ होने के बाद उन्होंने हालात देखकर चंद ही दिनों में खुद को इस विभाग से अलग कर लिया था। हाल ही उनके साथ राजधानी भोपाल में शूट की जा रही प्रकाश झा की वेब सीरीज आश्रम को लेकर विवाद हुआ था। नियाज खान दावा कर चुके हैं कि उनकी उपन्यास पर उक्त वेबसीरीज बनाई जा रही है। इस मामले में वे अदालत में भी गए हैं।

ट्वीट को लेकर हंगामा

नियाज़ अहमद खान द्वारा कुरआन और हदीस को लेकर किए जाने वाले शोध संबंधी ट्वीट को लेकर हलचल पैदा हो गई है। अलग अलग धर्मों के विद्वानों द्वारा इसको लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी जाने लगी हैं 

इनका कहना है

मजहब कोई भी बुरा नहीं होता। उसको मानने वाले अपने ग्रंथों की गलत व्याख्या करके पूरी कोम को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। मैं सभी धर्मों में विश्वास करने वाला पूरी सात्विक व्यक्ति हूं। इस किताब के जरिए पूरी दुनिया के सामने इस्लाम की सही छवि रखने की कोशिश कर रहा हूं।

नियाज़ अहमद खान, उप सचिव लोक निर्माण विभाग


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