सीनाजोरी वाली चोरी : आधा जिला नाप दिया तबादलों में, नहीं छूट रही भ्रष्टाचार की आदत


✍️ खान आशु

भोपाल। गरीब, मजदूर और जरूरतमंद लोगों के उत्थान के लिए बनने वाली सरकारी योजनाओं को लालच में डूबे अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। अपनी जेब भरने में जुटे इन अफसरों ने योजनाओं को तोड़मरोड़कर इससे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। आदिवासी अंचल धार की एक तहसील गंधवानी में भी इसी तरह के हालात बने हुए हैं। भ्रष्टाचार, लापरवाही और अव्यवस्थाओं के मनरेगा योजना से जुड़े अधिकारी को तबादलों के साथ पूरे जिले के चक्कर लगवा दिए गए हैं लेकिन हालात ये हैं कि जहां भी जाते हैं, इनका भ्रष्टाचार बस्ता इनके साथ ही पहुंच जाता है। हाल ही में इस अधिकारी द्वारा करीब 80 लाख रुपए का जॉब कार्ड घोटाला किया गया है। अब शिकायतों और विभागीय हलचल के बीच इनके द्वारा लगातार भ्रम, गुमराह और झूठ का सहारा लेकर मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। घोटाले को दबाने के लिए अधिकारी द्वारा गैर वैधानिक तरीके से धमकियों, अपशब्दों, झूठी शिकायतों को हथियार बनाया जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक धार जिले के गंधवानी तहसील में मनरेगा योजना के तहत जारी काम में हाल ही में एक बड़ा घोटाला किया गया है। एपीओ विकास आर्य, सहायक लेखा अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने जनपद से जुड़ी 66 पंचायतों में करीब 80 लाख रुपए का घालमेल करने के लिए आधार से लिंक और भुगतान प्राप्त करीब 23000 जॉब कार्ड डिलीट कर दिए हैं। आधार मुख्यालय से चले एक को बनाया गया है, जिसमें निष्क्रिय, काम छोड़ चुके और गांव से पलायन कर चुके जॉब कार्ड को डिलीट करने के लिए निर्देशित किया गया था। सूत्रों का कहना है कि एपीओ विकास आर्य और उनके साथियों ने कई गांव के शत प्रतिशत कार्ड डिलीट कर दिए हैं। भुगतान करने के बाद डिलीट किए गए जॉब कार्ड ये साबित कर रहे हैं कि किसी गांव के सारे लोग एक साथ गांव छोड़कर चले गए हैं।

शिकायत पर झूठे जवाब

बताया जा रहा है कि 80 लाख रुपए के इस घोटाले की जिला मुख्यालय और मनरेगा परिषद में शिकायत होने के बाद एपीओ लगातार भ्रामक और झूठी जानकारी पेश कर मामले में कार्यवाही कर दिया जाना बता रहे हैं। इस मामले में उन्होंने महिला जनपद सीईओ को अपने पक्ष में खड़ा कर लिया है। बताया जाता है कि महिला मर्यादाओं में सिमटी सीईओ सची जैन को एपीओ और उनकी भ्रष्टाचार मंडली इसी तरह से गुमराह करती रहती है।

भ्रष्टाचार ने घुमा दिया जिला

सूत्रों का कहना है कि एपीओ विकास आर्य गंधवानी से पहले जिले के ही बाग में पदस्थ थे। जहां भ्रष्टाचार मामलों को लेकर उनकी कई शिकायतें भी हुईं, जिसके चलते उनके खिलाफ विभागीय जांच और तबादले की कार्यवाही की गई है। सूत्रों का कहना है कि इससे पहले आर्य के धार, तिरला और पूर्व में गंधवानी में पदस्थ रहते हुए भी कई गड़बड़ियां हुई हैं, जिनकी शिकायतों पर सजा के तौर पर उनका ट्रांसफर किया गया है।

चोरी पर सीनाजोरी

शिकायतों को लेकर एपीओ विकास आर्य अक्सर दादागिरी और अभद्रता के व्यवहार पर उतारू हो जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि गंधवानी तहसील में हुए करीब 80 लाख रुपए के घोटाले के बाद हुई शिकायत पर वे शिकायतकर्ता पर लगातार दबाव बना रहे हैं कि शिकायत वापस ले लें। ऐसा न करने पर उनके द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठे मामले में थाने में शिकायत करने की धमकी भी दी जा रही है। अपनी बात मनवाने के लिए वे सियासी और प्रशासनिक दबाव भी शिकायतकर्ता पर बना रहे हैं। 

लगे हैं झूठे सबूत जुटाने में

सूत्रों का कहना है कि घोटाले की शिकायत होने के बाद एपीओ विकास आर्य अब शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठे सबूत जुटाने में लगे हैं। इसके लिए उन्होंने मनावर तहसील के उमरबन जनपद में पदस्थ एक कर्मचारी को झूठे प्रमाण जुटाने में मदद करने के लिए कॉल किया। इसके वायरल ऑडियो में आर्य और उक्त कर्मचारी की साजिशभरी बातें स्पष्ट सुनाई दे रही हैं।


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