मुहब्बत के गीत गुनगुनाती है महताब की शायरी : प्रो पुष्पेंद्र पाल


  • नफरतों के दौर में भाषा कर रही सेतु का काम : रामप्रकाश

भोपाल। भागती, दौड़ती और थकी थकी सी जिंदगी में गीत, गजल, कविताएं सुकून का कारण बनी हुई हैं। इनके साथ गुजारे गए चंद लम्हे दिलों को सुकून बख्शते हैं। महताब की शायरी ने दिलों में मुहब्बत के दीए जलाने में कामयाबी हासिल की है। उनकी शायरी को इतिहास इस रूप में हमेशा याद रखेगा कि इसके जरिए मुहब्बत की एक नई तहरीर खड़ी करने की कोशिशों को आगे बढ़ाया गया है।


वरिष्ट पत्रकार और माध्यम के प्रधान संपादक प्रो पुष्पेंद्र पाल सिंह ने ये बात कही। वे गुरुवार को सीनियर जर्नलिस्ट डॉ महताब आलम के कविता संग्रह के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल थे। कार्यक्रम का आयोजन बरकतुल्लाह एजुकेशन सोसाइटी ने किया था। इस मौके पर अध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्हाल रहे हिंदी साहित्यकार रामप्रकाश ने कहा कि नफरतों के इस दौर में भाषा सेतु का काम कर रही है। जिसके माध्यम से आपसी द्वेष और लोगों की दूरियां मिटाने का सफल प्रयोग किया जा रहा है। कार्यक्रम आयोजक हाजी हारुन ने बताया कि डॉ. महताब आलम की विभिन्न विषयों पर अब तक 13 पुस्तकें प्रकाशित होकर देश विदेश में मकबूलियत हासिल कर चुकी हैं। उनकी पुस्तकों में पोलिटिकल थ्योरी, खास मुलाक़ात, वस्ते हिन्द में उर्दू अदब, गैर मुस्लिम आशिकाने उर्दू , कभी तुम थे हमारी अंजुमन थी, तहज़ीब, बाज़ारे अदब के नाम जहाँ उल्लेखनीय हैं। वहीं शायरी के मजमुए में मंज़रो के दरमियाँ, सबा रंग खुशबू, मौसम मोहब्बतों के, चाहत और अब आदाब हाथ में मौजूद है। कार्यक्रम में आरिफ अज़ीज़, एमडबल्यु अंसारी, इकबाल मसूद, ज़िया फ़ारूकी, प्रोफेसर मोहम्मद नौमान खान, शैलेंद्र शैली, क़ाज़ी मलिक नवेद, बद्र वास्ती आदि ने अपने ख्यालात का इज़हार किया। कार्यक्रम के अंत में शामिल लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए डॉ महताब आलम ने कहा कि कोई भी सम्मान जिम्मेदारियों में इजाफा करने वाला होता है। अब पहले से भी ज्यादा बेहतर करके देने की जवाबदारी मुझ पर रख दी गई है। इस भरोसे पर खरा उतरना मेरे लिए जिम्मेदारी भी है और चुनौती भी। कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट कलीम हारुन ने किया। 

कमेटी गठित

बरकत उल्लाह एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष हाजी हारून ने इस मौके पर एक कमेटी गठित की है। प्रो पुष्पेंद्र पाल सिंह की अध्यक्षता वाली ये आठ सदस्यीय कमेटी पूरे देश में होने वाले हिंदी उर्दू लेखन की समीक्षा करेगी। साथ ही इनके प्रकाशन के यथोचित प्रयास भी सोसायटी द्वारा किए जाएंगे। 


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