संस्कृति में असभ्यता : होने लगी कुमार पर विश्वास करने वालों की तलाश
भोपाल। मप्र संस्कृति विभाग के एक आयोजन में आए कवि कुमार विश्वास विभाग और सरकार की छीछालेदर करके चले गए। मंच पर खड़े होकर संकृति विभाग से लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार को उन्होंने खारीखोटी सुना दी। मामला उनके लौट जाने के बाद गरमाया है। तलाश उस व्यक्ति की जा रही है, जिसने कार्यक्रम के लिए कुमार विश्वास का नाम सुझाया था और उनको प्रोग्राम में शरीक करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।
सूत्रों का कहना है कि मप्र के संस्कृति विभाग में इस बात की पड़ताल की जा रही है कि शिवरात्रि के अवसर पर भोजपुर कवि सम्मेलन में कवि कुमार विश्वास को किसके कहने पर आमंत्रित किया गया था? बताते हैं कि कुमार विश्वास को लगभग 15 लाख दिये गये, बदले में उन्होंने मंच से सरकार को जमकर कोसा। जिस संस्कृति विभाग ने उन्हें आमंत्रित किया था, उस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगा गये। पसंद का माईक न होने पर उन्होंने संस्कृति विभाग के माईक के टेंडर में गडबड़ी की बात कही। विश्वास ने यह भी कहा कि वे सरकारी कार्यक्रम नहीं करते, क्योंकि सरकारों की औकात नहीं है, सच सुनने की। कुछ माह पहले कुमार विश्वास सरकारी खर्चे पर दतिया आये थे, वहां उन्होंने कांग्रेस से भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया का जमकर मजाक उड़ाया था। मोदी और शाह को भी नहीं छोड़ा था। अब इस बात की तलाश हो रही है कि किसकी सलाह पर 15 लाख खर्च करके गालियां खाई जा रही हैं। एक शेर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है कि जिस थाली में खाओ उसी में छेद, लो लिफ़ाफ़ा दो गाली ना कोई खेद!
सियासत से जुड़े हैं विश्वास
राष्ट्रीय स्तर के कवि सिर्फ अपनी कविताओं की वजह से ही नहीं, बल्कि सियासी सक्रियता के लिए भी चर्चित रहते हैं। आम आदमी पार्टी के शुरुआती दौर में पार्टी की मुख्य टीम में शामिल विश्वास जब अलग हुए थे तो उन्होंने आम आदमी पार्टी और इससे जुड़े लोगों को जमकर कोसा था। अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरी न होते देख उन्होंने खुद को इस टीम से अलग कर लिया है।
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