नई बहस : तीसरी आंख की निगरानी में रहें मस्जिदें, ताकि कल के विवाद से बचें
भोपाल। मध्यप्रदेश की मस्जिदों के बाहर अब सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने की तैयारी की जा रही है। भोपाल शहर के काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने यह अनुरोध मस्जिदों के सदर और सेक्रेट्री से किया है। सैयद मुश्ताक अली नदवी ने कहा कि जिस तरह का माहौल मुल्क और प्रदेश में हो रहा है, इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि मस्जिदों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएं ताकि असामाजिक तत्व कोई हरकत करें तो उसका रिकॉर्ड मौजूद रहे।
इससे पहले बुधवार को भोपाल के शहर काज़ी सहित कई उलेमाओं ने राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाक़ात करके यह बात कही थी। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस बात का समर्थन करते हुये कहा था कि यह एक अच्छी पहल है और मस्जिदों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने चाहिये।
मध्यप्रदेश के खरगोन और सेंधवा में हिंदू-मुसलमानों के बीच 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस निकालने के दौरान पत्थरबाज़ी हुई थी। उसके बाद से मुस्लिम समाज भी अपनी सुरक्षा को लेकर सचेत हो गया है। खरगोन में हुये दंगे के बाद शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया था। इसके बाद पत्थरबाज़ी के लिए ज़िम्मेदार ठहराए गए कुछ लोगों के घर ढहाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। अब तक हिंसा के सिलसिले में तक़रीबन 100 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।इस हिंसा में पुलिस अधीक्षक समेत कई लोग घायल हो गए थे।एक युवक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप
इससे पहले शहर काज़ी ने उलेमाओं के साथ मध्य प्रदेश पुलिस के मुखिया सुधीर सक्सेना से भी मुलाक़ात की थी और एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि खरगोन और सेंधवा में रामनवमी के जुलूस के दौरान मस्जिदों की दीवारों पर चढ़कर भगवा झंडा लगाया गया था, जिसकी वजह से दंगे भड़के। वहीं, इनका यह भी आरोप है कि इसके बाद प्रशासन ने जो कार्रवाई की, वह एकतरफा थी और उसमें मुस्लिम समाज के लोगों को ही निशाना बनाया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि यह मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ ज़ुल्म और कानून का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा था कि इससे पहले भी इसी तरह रायसेन में भी हुये फसाद के बाद मुसलमानों के घरों को ही तोड़ दिया गया था।
मध्यप्रदेश में पिछले कुछ हफ्तों में पैदा हुये हालात के बाद सोशल मीडिया पर भी मुसलमान यह मांग करने लगे थे कि मस्जिदों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएं ताकि मस्जिदों के बाहर होने वाले प्रदर्शन में कोई ग़लत इरादे से कुछ करे तो वो सबूत के तौर पर मौजूद रहना चाहिये। अभी तक जो हो रहा है उसमें मुसलमानों को ही इसके लिये ज़िम्मेदार मान लिया जाता है और प्रशासन बगैर किसी सबूत के इन्हीं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करता है।
इंदौर के शहर काज़ी डॉ. इशरत अली भी इस बात को मानते है कि मौजूदा हालात में सीसीटीवी कैमरा मस्जिदों के बाहर लगाना बहुत ज़रुरी हो गया है। उन्होंने कहा कि अब जब कैमरे ही सब कुछ तय कर रहे है तो यह लगाना ज़रूरी हो जाता है। अदालत का फैसला ही कैमरे के ज़रिये किया जा रहा है तो फिर क्या किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इंदौर में भी फैसला ले लिया गया है और जल्द ही कैमरे मस्जिदों में लगना शुरू हो जाएंगे।
इशरत अली ने कहा कि वे इंदौर के शहर काज़ी हैं, इसलिये उन्होंने अपने शहर का फैसला ले लिया है दूसरी जगह क्या होता है वो वहां के जिम्मेदार लोग देखें।
सीसीटीवी और सबूत
खरगोन में रहने वाले एडवोकेट शहज़ाद ख़ान का भी मानना है कि मस्जिदों के बाहर सीसीटीवी लगाने का फ़ैसला अच्छा है, इससे कम से कम सबूत रहेगा कि आख़िर फसाद की शुरुआत किसने की है। उन्होंने कहा कि कम से कम मुख्य सड़कों की मस्जिदों में यह फौरन किया जाना चाहिये ताकि वक़्त पड़ने पर वीडियो पेश करके बताया जा सके कि फसाद कैसे शुरू हुआ था। यह काम जल्दी ही शुरु होना चाहिये।
खरगोन दंगे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि इस मामले में जो हिंसा और नुकसान हुआ है, उसकी वसूली वह इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों से करेंगे। प्रदेश सरकार ने इस दिशा में ट्रिब्यूनल का गठन भी कर दिया है जिसका नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
वहीं, मुसलमानों के मसलों को लेकर सक्रिय रहने वाले बरकतउल्लाह यूथ फोरम के अनस अली का कहना है कि मस्ज़िदों के बाहर कैमरा लगाना अच्छा कदम है, इससे असामाजिक तत्वों की हरकतों पर नज़र रखी जा सकती है।लेकिन वह सवाल भी करते है कि क्या यह मसले का हल है।
उनका कहना है कि हेट क्राइम के कई वीडियो रोज़ाना सामने आते है लेकिन पुलिस उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करती है।इसलिए ऐसे लोगों को बढ़ावा मिलता है।
Comments
Post a Comment