बयार बदलाव की : अरुण को चाहिए मजबूत कंधा, थामा मसूद का हाथ
✍️राजनीतिक संवाददाता
भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीसीसी चीफ अरुण यादव एक बार फिर भोपाल की सियासी सुर्खियों में दिखाई देने लगे हैं। ठेठ दिल्ली से खुद के लिए अपनी मजबूत जगह बनाकर लौटे यादव को राजधानी में मजबूत साथ की जरूरत महसूस होने लगी है। जिसके लिए उन्होंने विधायक आरिफ मसूद की तरफ हाथ बढ़ाया है।
अपनी गृह जिले में बिगड़े सांप्रदायिक सौहार्द को लेकर अरुण यादव ने राजधानी भोपाल में मोर्चा सम्हाला है। डीजीपी समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से मुलाकात के दौरान उन्होंने विधायक आरिफ मसूद को भी साथ रखा। मसूद के साथ की दो बड़ी वजह देखी जा रही हैं, पहली उनका मुस्लिम समुदाय से होना और दूसरा इन दिनों उनका हर मामले पर तीखा तेवर रखना। अपनी लोकसभा और गृह जिले में कई आंदोलन के साक्षी बने अरुण यादव को अपनी नई पारी को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे ही एक तेज तर्रार और उत्साही साथी की जरूरत भी है, जिसका डंका राजधानी भोपाल समेत प्रदेशभर में सुनाई दे रहा हो। गोरतलब है कि विधायक मसूद अपने विधायकी कार्यकाल से पहले भी अपने विद्रोही तेवर के लिए पहचाने जाते रहे हैं। विधायक बनने के बाद राजधानी समेत पूरे प्रदेश में उन्होंने विपक्ष का परचम ऊपर रखा है।
हाशिए से फिर मुख्यधारा की तरफ
लोकसभा उपचुनाव के दौरान अपनी ही पार्टी की कूटनीति का शिकार हुए अरुण यादव ने अपनी रफ्तार को धीमा नहीं होने दिया। चुनाव से पहले वाली गतिविधियों को निरंतर रखते हुए उन्होंने अपना सफर जारी रखा। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय तक पहुंची उनकी गतिविधियों की गठरी ने उन्हें सहारा दिया। नतीजतन उनके मुखालिफ खड़े दिखाई देने वाले पार्टी के दिग्गजों को नेतृत्व की कड़वी गोली खाना पड़ गई। यादव को प्रदेश संगठन में दोबारा तवज्जो के साथ आगे रखा जाने लगा है।
बात राज्यसभा के लिए भी
सूत्रों का कहना है आने वाले महीनों में राज्यसभा की कांग्रेस कोटे से खाली होने वाली एक सीट पर अरुण यादव को रिप्लेस करने की चर्चाएं भी चल पड़ी हैं। विवेक तंखा के कार्यकाल पूरा होने से बनने वाली इस जगह को पुर करने के लिए वैसे तो कई नाम आगे हैं, जिनमें कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि दिल्ली दरबार के दबाव में ऊपरी तौर पर अरुण यादव को तवज्जो देने वाली प्रदेश टीम इस बात पर अंदरूनी रूप से राजी नहीं है कि उनकी दोबारा जमावट मजबूत हो। संगठन चुनाव के बीच कोई बड़ी जिम्मेदारी यादव को सौंपकर किसी तरह का बंटवारा करने की बजाए अरुण को दिल्ली भेजा जाना ज्यादा सुरक्षित माना जा रहा है
यादव ने इसलिए थामा मसूद का हाथ
सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से राजधानी की सियासत से दूर अरुण यादव को अब यहां एक मजबूत टीम की जरूरत महसूस हो रही है। संगठन चुनाव के दौरान यादव पर अगर कोई बड़ी जिम्मेदारी आती है तो उन्हें इस टीम की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में यादव ने समय पूर्व अपनी जमावट शुरू कर दी है। इस काम के लिए उन्हें वर्तमान में मसूद से ज्यादा दमदार नेता दिखाई नहीं दे रहा है।
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