मैं चाहे ये करूं... मैं चाहे वो करूं... मरीज की मर्जी !


  • मरीज घोटाला : काम सरकारी अस्पताल के लिए, चाकरी कर रहे निजी हॉस्पिटल की

✍️ विशेष संवाददाता 

भोपाल। सरकार ने भले ही घायलों और मरीजों की जान बचाने के लिए एंबुलेंस सेवा 108 शुरू की हो, लेकिन इसका संचालन करने वाली कंपनी जय अंबे निजी अस्पतालों को मरीज उपलब्ध कराने के सौदे पर उतर आई है। 21 हजार रुपये पंजीयन शुल्क लेकर साल भर तक मरीज इन निजी अस्पतालों को पहुंचाने का अनुबंध किया जा रहा है। दरअसल कंपनी सेवा शर्तों के एक प्रविधान का बेजा फायदा उठा रही है, जिसमें उसे मरीज की लिखित सहमति पर मरीज या उसके अटेंडर के बताए निजी अस्पताल में छोड़ने की छूट दी गई है। कंपनी ने इस प्रविधान को अपनी आय का जरिया बनाते हुए प्रदेश भर में अस्पतालों से अनुबंध शुरू कर दिए हैं। इस तरह प्रदेश के हजारों अस्पतालों से कई करोड़ की वसूली की तैयारी है।

अनुबंध के लिए तीसरी कंपनी को दिया काम

जय अंबे ने निजी अस्पतालों से सौदेबाजी के लिए आरांश सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को अधिकार पत्र देते हुए काम पर लगाया है। आरांश, निजी अस्पतालों को ईमेल करके रेफरल सेंटर बनने का आफर दे रही है। इसके तहत जय अंबे का प्राधिकार पत्र और अन्य दस्तावेज बकायदा ईमेल कर अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी, डाक्टर्स की संख्या आदि दी जा रही है।

ऐसे निजी अस्पतालों के हवाले होंगे मरीज

108 एंबुलेंस के पिछले टेंडर में मरीजों को दुर्घटना में घायल या किसी भी आपात स्थिति में फंसे व्यक्ति को सरकारी अस्पतालों में भेजा जाना अनिवार्य था। इसमें कई बार मरीज या स्वजनों के निजी अस्पताल चलने की जिद करने पर विवाद होता था। इससे बचने के लिए नए अनुबंध में एक शर्त में ढील देते हुए तय किया गया है कि यदि मरीज या उसका अटेंडेंट निजी अस्पताल में ही इलाज कराने की इच्छा जाहिर कहता है तो उससे लिखित सहमति लेने और तय दूरी का किराया वसूलने के साथ उसके बताए निजी अस्पताल में छोड़ा जा सकता है। इस नियम की आड़ में जय अंबे ने एजेंसी की मदद से अस्पतालों को अपना रेफरल सेंटर बनाना शुरू कर दिया है। उन्हें साफ्टवेयर पर लोकेशन सर्विस सहित इंस्टाल करना शुरू कर दिया है। निजी अस्पतालों को बताया जा रहा है कि आपके आसपास मरीज मिलने पर ड्राइवर को स्क्रीन पर आपके अस्पताल की लोकेशन दिखेगी और आपको ये मरीज मिलेंगे।

इनका कहना है

नई नीति के तहत मरीजों को विकल्प है कि वे निजी अस्पताल में जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं, लेकिन इसमें मरीज या उसके अटेंडर की ही इच्छा चलेगी। कंपनी या कोई भी उन्हें किसी खास अस्पताल में नहीं भेज सकता। यदि नियम विरुद्ध कुछ हो रहा है तो दिखवाता हूं। 

डॉ. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र

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