133 वां उर्स : दादा पीर नियाज़ अली सरकार की दरगाह पर पेश की शाही चादर
- देश की खुशहाली और बेहतर बारिश की दुआ के साथ पेश किए अक़ीदत के फूल
✍️ ताहिर कमाल सिद्दीकी
इंदौर। माहौल में रूहानियत और लोबान की धुनी और इत्र से पूरा दरगाह परिसर महक रहा था। जैसे ही तुकोगंज पर ताजुल औलिया हज़रत नियाज़ अली शाह की दरगाह पर मखमली शाही चादर पेश की गई तो अक़ीदत से सभी की आंखें भर आईं।
दादा पीर ताजुल औलिया हज़रत नियाज़ अली नक़्शबन्दी सरकार के 133 वें उर्स में हैदराबाद के मीर मुज़्तबा यज़दानी बाबा ने सुनहरी मखमली परम्परागत शाही चादर शरीफ पेश की। 1982 से यज़दानी बाबा साहब अपने मुरीदों के साथ नवाबों के शहर हैदराबाद से परम्परागत शाही चादर लेकर तशरीफ़ ला रहे हैं । सालाना उर्स का आगाज़ क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा के साथ हुआ।
इसके बाद शहर काजी इशरत अली, मुफ़्ती एहमद यार खान की मौजूदगी में हैदराबाद के सूफी हज़रत मीर मुज्तबा यजदानी बाबा साहब ने अपने मुरीदों के साथ अदब व एहतराम के साथ चादर पेश की। इस मौके पर यज़दानी बाबा ने कहा कि दादा पीर ने सादगी के साथ रहने और इंसनियत की ख़िदमत का पैगाम दिया। इस मौके पर यजदानी बाबा की जानिब से विशाल लंगर भी रखा,जो दिनभर चलता रहा। देश की खुशहाली और बेहतर बारिश के लिए विशेष दुआ भी मांगी गई। दरगाह को फूलों और रंगबिरंगी रोशनी से सजाया गया। सभी धर्म के मानने वाले श्रध्दा के साथ मान मन्नत लेकर हाज़िर हुए।
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