एक लाइसेंस पर दो क्रेशर, रॉयल्टी का भी लगा रहे चूना


भोपाल।
राजधानी से सटी हुजूर तहसील की झिरनिया ग्राम पंचायत में खनन माफिया द्वारा अवैध तरीके से स्टोन क्रेशर संचालित कर सरकार को राजस्व की चपत लगाई जा रही है। यहां एक लीज पर दो स्टोन क्रेशर संचालित किए जाने का मामला सामने आया है। फर्जीवाड़े का यह नया तरीका अपनाकर खनन माफिया ना सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है, बल्कि खनिज विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान भी पहुंचा रहा है। यही नहीं, पत्थरों का परिवहन भी बिना रॉयल्टी चुकाए ही हो रहा है।

जानकारी के मुताबिक हुजूर तहसील की फंदा जनपद अंतर्गत झिरनिया ग्राम पंचायत में दिलीप प्रीतवानी अवैध तरीके से बिना लीज के अपनी निजी कृषि भूमि में स्टोन क्रेशर चला रहा है। यहां गिट्टी क्रेशिंग के लिए डंपरों में भरकर परवलिया ग्राम पंचायत के शाहपुर गांव से पत्थर लाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पत्थरों का परिवहन भी बिना रॉयल्टी के ही किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक दिलीप प्रीतवानी के पास शाहपुर गांव में तो स्टोन क्रेशर के लिए जमीन लीज पर है, लेकिन झिरनिया ग्राम पंचायत में लीज नहीं दी गई है। यहां बता दें कि वन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेने के बाद ही खनिज विभाग खनन के लिए लीज अनुमति दे सकता है।

गोल-मोल जवाब दे रहे प्रीतवानी

इस मामले में स्टोन क्रेशर संचालक दिलीप प्रीतवानी अब गोल-मोल जवाब दे रहे हैं। कभी वह कहते हैं कि मेरे पास झिरनिया में क्रेशिंग के लिए लीज ली गई है तो कभी कहते हैं कि मैंने यहां लीज लेने के लिए खनिज विभाग में आवेदन किया है। यह मेरे खुद की जमीन है। जाहिर है इन्होंने आवेदन किया है, लेकिन अभी तक इन्हें यहां गिट्टी क्रेशिंग के लिए अनुमति नहीं दी गई है। इधर, खनिज विभाग से ली गई जानकारी में भी यह बात स्पष्ट हो रही है कि दिलीप प्रीतवानी को झिरनिया में स्टोन क्रेशर के लिए अभी लीज अनुमति नहीं दी गई है।

दो साल से चल रहा फर्जीवाड़ा

जानकारी के अनुसार झिरनिया ग्राम पंचायत में बीते दो सालों से यह फर्जीवाड़ा चल रहा है। यहां दो साल से अवैध तरीके से स्टोन क्रेशर संचालित हो रही है, ऐसे में खनिज विभाग को लाखों रुपए की जो आय होनी थी, उसका नुकसान उठाना पड़ा है। यही नहीं, यहां प्रतिदिन 50 से अधिक डंपर पत्थर शाहपुर गांव से परिवहन कर लाए जा रहे हैं, जिसकी रॉयल्टी भी जमा नहीं की जा रही है, इस तरह खनिज विभाग को राजस्व की छति पहुंचाई जा रही है। बता दें कि प्रति डंपर 1500 रुपए रॉयल्टी शुल्क चुकाना होता है।

पास में मंदिर, आंगनवाड़ी भी

झिरनिया में जहां स्टोन क्रेशर संचालित हो रही है, वहां कुछ प्राचीन मंदिर भी बने हैं, जहां गांव के लोग पूजा—पाठ करने आते हैं, लेकिन स्टोन क्रेशर से आने वाली तेज आवाज और पत्थर की डस्ट लोगों के लिए मुसीबत बन रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां प्रतिदिन तेज धमाके होते हैं इससे मंदिर में दरारें आने का खतरा भी है और डस्ट के कारण पूरे मंदिर परिसर प्र​दूषित होते जा रहा है। गांव वालों ने बताया कि यहां से महज 100 मीटर की दूरी पर ही आंगनवाड़ी भी है, जहां महिलाओं व बच्चों का आना-जाना है, उन्हें भी इससे खतरा है। गांव के लोगों ने यहां से स्टोन क्रेशर हटाए जाने की मांग की है।

इनका कहना है 

नियमानुसार जहां लीज है, वहीं क्रेसिंग संचालन किया जाना चाहिए, जहां लीज ना हों वहां क्रेशर संचालन किया जाना गलत है। मैं जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करता हूं।

  • केपी दिनकर, खनिज अधिकारी


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