कैसे स्कूल चलें हम : प्रदेश के मदरसा किताबों से दूर, न स्कॉलरशिप मिल रही, न यूनिफॉर्म


✍️खान अशु 

भोपाल। सरकार की मंशा प्रदेश में शिक्षा स्तर और प्रतिशत को ऊपर ले जाने का है। इसके लिए कोशिश भी की जा रही है और साधन भी जुटाए जा रहे हैं। लेकिन इस सरकारी मंशा को लालफीताशाही का मकड़जाल अंजाम तक नहीं पहुंचने दे रहा है। स्कूल और मदरसा शिक्षा में खींच दी गई एक गहरी खाई में जहां एक कौम विशेष के बच्चों को तालीम से दूर कर दिया है, वहीं प्रदेश के हजारों मदरसा संचालकों के सामने भी रोजी रोटी के संकट खड़े कर दिए हैं।

प्रदेश में शिक्षा के स्तर को ऊपर ले जाने की नीयत के साथ सरकार ने कई तरह की योजनाएं बनाई हैं। जिसके तहत मुफ्त पुस्तकें, यूनिफॉर्म और सालाना छात्रवृत्ति आदि शामिल हैं। सभी सरकारी स्कूलों में प्रचलित इन योजनाओं का लाभ उन मदरसा तक नहीं पहुंच पा रहा है, जो शासकीय अनुदान और उसके तय किए गए मापदंडों के अनुसार ही चल रहे हैं। इन मदरसा को न पुस्तकें मुहैया कराई जा रही हैं और न ही इनमें पढ़ने आने वाले विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप मिल पा रही है, न ही यूनिफॉर्म आदि की सुविधाएं।

बंद होने की कगार पर मदरसे 

मदरसा विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तकें, यूनिफॉर्म और सालाना छात्रवृत्ति न मिलने का असर ये है कि स्टूडेंट्स का मोह इन मदरसा की तरफ से भंग हो गया है। सरकारी सुविधाओं को बटोरने मदरसा जाने की नीयत रखने वाले बच्चे अब सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे हैं। जिसके नतीजे में बड़ी संख्या में मदरसा पर तालाबंदी हो चुकी है और बाकी भी बंद होने की कगार पर हैं।

नहीं मिल रहा शिक्षकों का वेतन

मदरसा तालीम से जुड़े शिक्षकों को पिछले करीब पांच साल से वेतन प्राप्त नहीं हो पाया है। केंद्र और राज्य सरकारों के सामूहिक अंशदान से मिलने वाले इस अनुदान के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक गुहार लगाई जा रही है, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई होती दिखाई नहीं दे रही है।

अधिकारी सुस्त

मप्र मदरसा बोर्ड में लंबे समय से पदाधिकारी नहीं हैं। जिसके चलते यहां की व्यवस्था लोक शिक्षण संचालनालय के सहायक संचालक एसएच रिजवी के पास है। बरसों से चल रही उधार की इस व्यवस्था में रिजवी इक्का दुक्का बार ही मदरसा बोर्ड की सीढ़ी चढ़े हैं। जिसके चलते यहां की व्यवस्थाओं और सुविधाओं के लिए कोई पुकार सरकार तक नहीं पहुंच पा रही है।

इनका कहना है

मदरसों को पुस्तकें, स्कॉलरशिप, यूनिफॉर्म आदि सुविधाएं न मिल पाने से विद्यार्थियों और उनके पालकों की रुचि मदरसा शिक्षा से लगातार कम हो रहा है। बार बार अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है।

-कफील अहमद, आधुनिक मदरसा कल्याण संघ


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