गुरू चिंगारी ऊर मेल्या, जो सिलगाए वो चेला : योगी नरहरि जी
- गुरू पूर्णिमा महोत्सव सम्पन्न
✍️ विश्वदीप मिश्रा
मनावर (धार) । योगी नरहरि योग एवं ज्योतिष आश्रम अछोदा पुनर्वास में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आयोजित "गुरू-शिष्य परंपरा-तब और अब" विषय पर व्याख्यान सम्पन्न हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रोताओं ने भाग लेकर योगी नरहरि जी के विचारों को श्रवण किया ।
अपने उद्बोधन में योगी जी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में चार तरह के भक्त बताए गए हैं आर्थार्थी,आर्त, जिज्ञासु और ज्ञानी । पूर्वकाल में गुरू ज्ञानी और शिष्य जिज्ञासु थे । जिनके बीच एक आध्यात्मिक संबंध रहता था और यह संबंध बिल्कुल निस्वार्थ रहता था । इसलिए शिष्य अपने लक्ष्य के लिए गुरू वचनों पर समर्पित रहता था । वर्तमान में गुरू और शिष्य दोनों की स्थिति में परिवर्तन आया है । अब अर्थ प्राप्ति या किसी समस्या समाधान हेतु शिष्य गुरू के पास जाते हैं । इसी कारण आज गुरू और शिष्य के बीच वह भावनात्मक संबंध नहीं रहा और समर्पण की भावना तो कोसों दूर है । गुरू वही है जो शिष्य को ज्ञान दे कर संसार सागर से पार होने की युक्ति बताए । इस संबंध में भक्त कवि ने कहा है कि गुरू चिंगारी ऊर मेल्या,जो सिलगाए वो चेला ।
कार्यक्रम का संचालन राम शर्मा परिंदा,स्वागत भाषण जगदीश पाटीदार और आभार महासचिव विश्वदीप मिश्रा ने जताया । कार्यक्रम में डॉ कविता शर्मा, दुर्गा पाटीदार, विकास पाटीदार, रामेश्वर पाटीदार, गोपाल कृष्ण मलतारे,मोहन पाटीदार, संतोष पाटीदार, महेश पाटीदार,अनिल वर्मा,धर्मेश सेन, मुकेश पाटीदार,कमल पाटीदार, राजेंद्र धनगर, मधुसूदन पाटीदार आदि उपस्थित थे ।
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