अपनी उर्दू : अज़रबैजान के मंच पर सजी महफिल, दुनियाभर के शायरों ने सुनाए कलाम


भोपाल।
मिश्री से मीठी, गुलाब से ज्यादा सुगंधित और हर रंग में अपना असर घोल लेने की कूवत रखने वाली जुबान उर्दू ने अज़रबैजानी जमीन पर भी अपना असर दिखाया। दुनियाभर से जमा हुए शायरों ने उर्दू कलाम पेश किए तो अपने साथ अज़रबैजानी गजल नज्मों को भी साथ ले चले। इस समागम ने महफिल को एक नए आयाम के साथ खड़ा कर दिया।

श्रोताओं को मिला नायाब मौका 

मौका अज़रबैजान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संध्या का था। अज़रबैजान में पहली बार आयोजित की गई उर्दू-अज़रबैजानी कविता और अदब की शब के आयोजन की कल्पना दुबई की संस्था लीडिंग एज इवेंट्स के तारिक फैजी ने की थी। इस मौके पर पाकिस्तान, भारत और दुबई के उर्दू भाषी शायरों के अलावा, अज़रबैजानी शायरों ने भी हिस्सा लिया। महफिल में श्रोताओं को उर्दू और अज़रबैजानी दोनों भाषाओं में कलाम सुनने का नायाब मौका हासिल हुआ। इस खास शाम में पाकिस्तान से बाबर नसीम अस्सी, डॉ साइमा इरम, हम्द नियाजी और भारत के कई शायरों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता दुबई के इरफान इजहार ने की। इस मौके पर अज़ादेह नोव्रुजोवा, असेल फिक्रेट, मुशफीका बलादीन और अज़रबैजान से अकबर तुर्बदेयेव आदि भी मौजूद थे।

यह भी रहे मौजूद

एएनएएस के उपाध्यक्ष, निज़ामी गंजवी साहित्य संस्थान के सामान्य निदेशक, संसद के सदस्य ईसा हबीब्बैली, प्रोफेसर गजनफर पशायेव, अज़रबैजान - एशिया साहित्य संबंध विभाग के प्रमुख साहित्य संस्थान प्रोफेसर बादिर खान अहमदोव और बाकू स्टेट यूनिवर्सिटी एल्डोस्ट इब्राहिमोव के ओरिएंटल स्टडीज के संकाय के उर्दू भाषा के शिक्षक आदि ने इस शाम को रोशन किया।


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