तारीख पर तारीख : वक्फ बोर्ड चुनाव की याचिका पर पहली अगस्त को होगी सुनवाई
- अवमानना मामले भी सुने जा सकते हैं एक साथ
भोपाल। मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है। इसके लिए नई तारीख एक अगस्त तय की गई है। इस याचिका पर सुनवाई की पहली तारीख 26 जुलाई तय हुई थी। दो बार तारीख आगे बढ़ते हुए अब सुनवाई के लिए फिर नई तारीख मिल गई है।
जानकारी के मुताबिक मप्र वक्फ बोर्ड गठन को नियमविरुद्ध करार देते हुए उज्जैन के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत ने इसकी सुनवाई डबल बेंच में करने के लिए 26 जुलाई तारीख तय की थी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस दिन खंडपीठ में शामिल एक न्यायाधीश के जबलपुर से बाहर होने के बाद सुनवाई की तारीख पहले 27 फिर 29 जुलाई करते हुए इसे अब एक अगस्त कर दिया गया है। गोरतलब है इस याचिका पर आने वाले फैसले से ही तय होगा कि बोर्ड चुनाव होंगे या नहीं। होंगे तो कब होंगे और इस बोर्ड का आकार किया होगा।
अवमानना सुनवाई एक सितंबर को
अदालत के आदेश के मुताबिक समय सीमा में चुनाव न किए जाने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को अवमानना नोटिस जारी किया है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले पर सुनवाई भी संभवतः एक सितंबर को होगी। इधर ये भी कहा जा रहा है कि 30 जुलाई को होने वाले चुनाव के स्थगन को भी अदालत की अवमानना माना जा रहा है। कहा जा रहा है संभवतः इस नए मामले में भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अवमानना के घेरे में आ सकता है।
निकाले जा रहे बचने के रास्ते
सूत्रों का कहना है कि 30 जुलाई को होने वाले वक्फ बोर्ड चुनाव इसके लिए तय किए रिटर्निंग अधिकारी के कहने पर अगली तारीख के लिए स्थगित कर दिए गए हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग इस मामले को लेकर गंभीर है और उसने चुनाव अधिकारी को इस मामले में होने वाली अदालती कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराने की तैयारी कर ली है। इसको भविष्य में आधार बनाने की मंशा के साथ विभाग ने एक सख्त चिट्ठी भी चुनाव अधिकारी दाऊद अहमद खान को लिख दी है।
दाऊद पर कैसे होगी कार्यवाही
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी दाऊद अहमद खान को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया है। पूर्व में पाबंद किए गए आईएफएस अधिकारी के बदले दाऊद की नियुक्ति को लेकर शुरू से ही सवाल उठाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि विघटित तिलहन संघ में क्लर्क रहे दाऊद को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में डिप्टी डायरेक्टर का ओहदा तो दिया गया था लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति अदालत के हस्तक्षेप से हुई है। वर्ष 2005 के बाद हुए इस सेवा मर्ज के चलते दाऊद अहमद खान पेंशन आदि की पात्रता से भी बाहर हैं। इसके अलावा उनके ऊपर लोकायुक्त में दर्ज मामलों की छाया भी उन्हें इस नई जिम्मेदारी के लिए अयोग्य करार देती है। कहा जा रहा है कि अज्ञानतावश या किसी दबाव में की गई उनकी नियुक्ति आने वाले समय में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए मुश्किल बन सकती है। लेकिन इसके बदले विभाग किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी को किसी सजा से भी नवाज पाने की स्थिति में नहीं रहेगा।
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