सीनियर जर्नलिस्ट डॉ. महताब आलम ने कहा- बेटी जहमत नहीं, रहमत है


भोपाल।
बेटियां आंगन की रौनक हैं, उनसे ही जीवन है और उन्हीं से संसार भी है। बेटियां तालीम की तरफ कदम बढ़ाती हैं तो आने वाली कई पीढ़ियों का मुस्तकबिल गढ़ देती हैं। हुनर के लिए हाथ उठाती हैं तो परिवार के आर्थिक संबल की एक नई तहरीर लिख देती हैं।

राजधानी भोपाल के मुंशी हुसैन खां टेक्निकल इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ये बात सीनियर सहाफी डॉ मेहताब आलम ने कहीं। वे इंस्टीट्यूट में संचालित शॉर्ट टर्म बेकिंग क्लास की स्टूडेंट्स को सर्टिफिकेट वितरण कार्यक्रम में बात कर रहे थे। इस 15 दिवसीय प्रशिक्षण में बड़ी तादाद में लड़कियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने केक, नॉन खटाई, बिस्किट जैसे कई पकवान बनाने की विधि सीखी। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली लड़कियों ने इस शॉर्ट टर्म कोर्स को बहुत उपयोगी और रुचिकर बताया। उन्होंने कहा कि कोविड काल में उन्होंने खाली समय के सदुपयोग के महत्व को समझा। उन्होंने कहा कि घर में आसानी से किए जाने वाले कामों को कर परिवार को आर्थिक मदद भी पहुंचाई जा सकती है। वे इस कोर्स के बाद एडवांस कोर्स करने की मंशा रखती हैं। प्रशिक्षण संचालिका तैयबा हुसैन ने बताया कि तालीम के साथ हुनर भी जरूरी है। इसके अलावा उनका सिखाने का नजरिया मदर की तरह न होकर फ्रेंड्स वाला रहता है ताकि स्टूडेंट्स एंजॉय के साथ किसी काम को सीख सकें।

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